विवेक चौबे की रिपोर्ट
तरह-तरह के घाेटाले और कब्जे की खबरें आपने पढ़ी हाेंगी। लेकिन यह अपने तरह का एक अजब मामला है। 16 साल पहले सरकार ने छह लाख रुपए में पंचायत भवन बनवाया। ठेकेदार काे 1.76 लाख रुपए का भुगतान नहीं मिला ताे इसे सरकार को हैंडओवर नहीं किया, बल्कि पूरा पंचायत भवन ही किराए पर चढ़ा दिया। पंचायत भवन के पांच कमरे और बाहर की दुकानें दुकानदारों काे दे दीं। अब तक वह 48 लाख रुपए किराया वसूल चुका है। खास बात यह है कि सरकार ओर प्रशासन इससे बेखबर है। कभी भी कब्जा हटाने की काेई काेशिश नहीं की गई।
मामला गिरिडीह के बड़की सरिया ग्राम पंचायत भवन का है। वर्ष 2006 में एनआरईपी की संपूर्ण ग्रामीण याेजना के तहत दाे मंजिला पंचायत भवन बनाने का ठेका अशाेक मंडल काे मिला था। मंडल ने कहा-युद्धस्तर पर काम कराकर उसी साल भवन निर्माण पूरा कर लिया। इसमें अपनी पूरी जमा-पूंजी लगा दी। विभाग की ओर से दाे किस्ताें में 4.24 लाख रुपए मिले। लेकिन जब काम पूरा हुआ ताे कमीशन के चक्कर में विभाग के जूनियर इंजीनियर ने मेजरमेंट बुक नहीं भरा। मैं पैसाें के लिए विभाग का चक्कर काटता रहा।
जब बाकी के 1.76 लाख रुपए नहीं मिले ताे पंचायत भवन काे ही कब्जे में ले लिया। पैसे वसूलने के लिए इसे किराए पर दे दिया। इससे हर महीने 25 हजार रुपए मिलते हैं। उधर, एसडीओ कुंदन कुमार ने कहा-किसी ने शिकायत नहीं की है। अगर कब्जा है तो जानकारी लेकर जरूर कार्रवाई करूंगा।
ठेकेदार बोला-बकाया दो, तभी खाली करूंगा
ठेकेदार अशाेक मंडल ने कहा-वर्ष 2006 में संपूर्ण ग्रामीण याेजना के तहत पंचायत भवन का निर्माण करवाया था। निर्माण पूरा करने के बावजूद विभाग ने 1.76 लाख रुपए का भुगतान राेक रखा है। इसीलिए इस भवन काे अपने कब्जे में रखा है। सरकार जब तक मेरे बकाए का भुगतान नहीं करेगी, तब तक पंचायत भवन खाली नहीं करूंगा। सरकार बकाया दे दे, मैं भवन खाली कर दूंगा।
बड़ा सवाल – आखिर सरकार माैन क्याें?
स्थानीय लाेगाें ने बताया कि पंचायत भवन से कब्जा हटाने के लिए बीडीओ से लेकर डीसी तक काे अवगत कराया। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि प्रशासन और सरकार माैन क्याें है, जबकि सबकाे सरकारी भवन पर अवैध कब्जे की जानकारी है।
Author: samachar
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