राकेश तिवारी की रिपोर्ट
गोरखपुर, महज दो दिन के अंतराल पर डाक विभाग में मृतक के नाम पर एक और घोटाला सामने आया है।
इस बार मामला रेलवे स्टेशन उप डाकघर का है, जहां एक महिला बचत एजेंट के स्वर्गवासी होने के एक साल तक उसके कोड पर कारोबार होता रहा और कमीशन बनता रहा। यह कारोबार दो-चार नहीं बल्कि 50 लाख का हुआ, जिसमें 1.80 लाख का कमीशन भी बना। इस कमीशन को डाकघर के कर्मचारियों ने निकाल लिया और जानकारी मिलने पर जब अफसरों ने दबाव बनाया तो जमा भी कर दिया। इस अनूठे तरह के घोटाले की प्रवर अधीक्षक डाक ने जांच भी शुरू करा दी है।
रेलवे स्टेशन उप डाकघर में बशारतपुर निवासी संगीता सिंह बतौर महिला एजेंट काम करती थीं। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में संगीता सिंह की मृत्यु हो गई। नियम के अनुसार निधन के बाद एजेंट की बचत एजेंसी निरस्त होनी चाहिए थी लेकिन उप डाकघर के कर्मचारी सालभर तक महिला एजेंट के कोड पर कारोबार दर्ज करते रहे। प्राथमिक जांच के अनुसार महिला एजेंट की बहन की मदद से डाकघर के जिम्मेदारों ने कमीशन की रकम की निकासी भी कर ली। भुगतान बाउचर को लेकर जब विवाद हुआ तो उप डाकघर के लिपिक ने अपने बचाव में मामले से प्रवर अधीक्षक डाक को अवगत कराया।
प्रवर अधीक्षक ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच टीम गठित कर दी। जैसे ही जांच का दबाव बना कमीशन की रकम मृतक महिला के खाते में जमा कर दी गई। अभी दो पहले एक डाककर्मी द्वारा दो वर्ष से स्वर्गवासी पिता की पेंशन निकालने का मामला सामने आया था। महज दो दिन में दो गंभीर मामले के प्रकाश में आने से डाक विभाग के कर्मचारी में खलबली मची हुई है।
Author: samachar
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