आर के मिश्रा की रिपोर्ट
बहराइच। जनपद बहराइच अन्तर्गत विभिन्न गाँव में मंगलवार को नाग पंचमी के अवसर पर नाग पूजा के साथ- साथ गुड़िया का त्यौहार भी बड़े ही धूमधाम से मनाया गया।
गुड़िया पर्व के अवसर पर कन्याओं ने कपड़े की छोटी- छोटी गुड़िया तैयार किया। और सूरज ढलने के साथ सांध्य बेला में चौक चौराहे व खुले मैदान में पहुँचकर कपड़े से बनी गुड़िया को जमीन पर डाल दिया। जिसे नौनिहाल भाईयों व बच्चों ने डंडों से उन गुड़ियों की खूब पिटाई करके खुशियां मनाई।
मान्यता है कि गुड़िया त्यौहार को शादी शुदा बहनों के ससुराल में उपहार स्वरूप खाद्यान्न व मिष्ठान भेजने की परंपरा है। तथा इस दिन शादी शुदा बहने अपने मायके में पहुँचकर खुशियों में शामिल होती हैं। बाग बगीचों में पेड़ की शाखाओं पर झूला डालकर झूलने की परंपरा है। इस दौरान महिलाएं बच्चियां व बच्चे पारंपरिक सावन गीत, मल्हार, कजरी आदि गाती हुई झूले को पेंग मारकर झूलती हैं। हंसी ठिठोली व झूला गीत गाती हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार, जनमेजय अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के पुत्र थे। जब जनमेजय ने पिता की मौत की वजह सर्पदंश जाना, तो उन्होंने बदला लेने के लिए सर्पसत्र नामक यज्ञ का आयोजन किया। नागों की रक्षा के लिए यज्ञ को ऋषि आस्तिक मुनि ने श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन रोक दिया। और नागों की रक्षा किया। जिससे तक्षक नाग के बचने से नागों का वंश बच गया। आग के ताप से नाग को बचाने के लिए ऋषि ने उन पर कच्चा दूध डाल दिया था। मान्यता है तभी से नागपंचमी मनाई जाने लगी। और नाग देवता को दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।
Author: samachar
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