सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
देवरिया। जनपद के सलेमपुर नगर में शिक्षा की निरंतर शैक्षिक जगत् में ज्ञानात्मक दीप प्रज्वलित करने वाले जी.एम.एकेडमी के संस्थापक, जनता इं. का.चकरवां के पूर्व प्रधानाचार्य एवं शिक्षाविद् स्व. गौरीशंकर द्विवेदी की नौवीं पुण्यतिथि बड़े श्रद्धा से मनाई गई।
इस कार्यक्रम पर जी.एम.एकेडमी में सुंदरकांड पाठ एवं रुद्राभिषेक का आयोजन किया गया। विद्यालय के संस्कृत अध्यापक डॉ.त्रिपुरारी मिश्र ने आवाहन, पूजन के साथ विधिवत् मंत्रोचार करते हुए सुंदरकांड एवं रूद्राभिषेक के पश्चात हवन आदि का कार्यक्रम संपन्न कराया।
विद्यालय के प्रबंधक डॉ. श्री प्रकाश मिश्र एवं प्रधानाचार्या डॉ. संभावना मिश्रा द्वारा यजमान के रूप में सभी कार्यक्रम संपन्न हुआ तथा उपप्रधानाचार्य मोहन द्विवेदी एवं सभी अध्यापक अध्यापिकाओं जिसमें मुख्य रूप से धर्मेंद्र मिश्र, के.एन.पांडेय, एस.एन.पांडेम, सीमा पांडेय, ज्ञानेंद्र मिश्र, आशुतोष तिवारी, अजय चतुर्वेदी, संदीप मिश्र, करन मिश्र, अनिता गुप्ता, अनिता पांडेय आदि के द्वारा सुंदर काण्ड का सस्वर पाठ किया गया।
तत्पश्चात् विद्यालय के संस्थापक स्व.गौरीशंकर द्विवेदी की प्रतिमा पर समस्त विद्यालय परिवार द्वारा पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उनके शिक्षा जगत् के अभूतपूर्व योगदान को याद किया गया। श्री द्विवेदी को पुष्पांजलि करते हुए सबकी आंखें एक बार पुनः नम हो गईं।
अंत में सभी शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों ने महाप्रसाद ग्रहण किया।
इस अवसर पर उनके साथ अध्यापन कार्य किए हुए सेवानिवृत्ति अध्यापक विश्वंभर नाथ तिवारी, चंद्रभूषण पांडेय के साथ साथ विद्यालय के दिलीप सिंह, एस.के.गुप्ता, प्रमोद कुमार, वी.वी.सहदेव, बृजेन्द्र तिवारी, दीपेंद्र मिश्र, अजय मिश्र, निधि द्विवेदी, सरिता तिवारी, रेनू सिंह, ज्योति विश्वकर्मा, ललिता वर्मा, शिखा तिवारी, विभूषिका द्विवेदी, सुकेश मिश्र, ए.के.सिंह, पंकज मिश्र, नरेन्द्र मिश्र, दीनानाथ उपाध्याय, साक्षी उपाध्याय, श्वेता तिवारी, भारती सिंह, श्वेता राज, पूजा वर्मा, विकास विश्वकर्मा, पी.एच.मिश्र, पुरंजय कुशवाहा, अमूल्य श्रीवास्तव, प्रभात मिश्र, संपूर्णानंद तिवारी, वंशिका तिवारी, मनोज पांडेय, जयराम, राजित, मोहन गुप्ता, सीमा पांडेय, सीमा शर्मा, पूनम, सुमन, राधेश्याम, रामदुलारे, सुखदेवा, सतीश यादव, भूपेंद्र यादव आदि उपस्थित थे।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."