दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
बलरामपुर : जुलाई में अब तक झमाझम बारिश का इंतजार किसान कर रहे हैं। बारिश न होने से धान की रोपाई प्रभावित हो रही है। तेज धूप से खेतों में लगी धान, गन्ना व सब्जी की फसलें सूखने लगी है। जुलाई के दूसरे सप्ताह में भी बरसात होने की उम्मीद नहीं दिख रही है। बरसात की आस में किसान पंपिग सेट से धान की फसल को किसी तरह संजीवनी दे रहे हैं,लेकिन महंगे डीजल के कारण खेतों को भरपूर पानी देना संभव नहीं हो पा रहा है। जून से जुलाई में अब तक 19.5 मिली मीटर बारिश हुई है।
किसान बताते हैं कि अधिकांश किसानों ने धान की रोपाई का काम पूरा कर लिया है। अब धान के खेत में भरपूर पानी भरे रहने की जरूरत है। पानी की कमी के कारण रोपे गए पौधे झुलस रहे हैं। मेवालाल, हरीराम का कहना है कि इस समय गन्ने की फसल के लिए भी पानी की जरूरत है। सब्जियां भी पानी की कमी से कुम्हला रहीं हैं। विनय वर्मा का कहना है कि सूखे जैसी स्थित लग रही है। किसानों की चिता बढ़ने लगी है।
कृषि विभाग के अनुसार इस बार खरीफ की रोपाई के हालात विपरीत हैं। आमतौर पर खरीफ सीजन में 15 जून से 15 जुलाई तक धान की रोपाई की जाती है। गत वर्ष 12 जुलाई तक 22 लाख हेक्टेयर में धान की रोपाई हो चुकी थी, जबकि इस बार कम वर्षा के चलते महज 16 लाख हेक्टेयर ही रोपाई की जा सकी है।
अब तक प्रदेश के 48 जिलों में सामान्य से 40 प्रतिशत तक कम वर्षा होना है। वहीं, 20 जिलों में कम वर्षा यानी सामान्य का 40 से 60 प्रतिशत हुई है। वहीं, जैसे-जैसे जुलाई की तारीखें बढ़ रही हैं वर्षा न होने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें नजर आने लगी हैं।
किसान धान की नर्सरी सूखने व रोपाई पिछड़ने से परेशान हैं। नहरों व माइनरों में भी पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं आने से धान की नर्सरी सूखने की कगार पर पहुंच गई है, क्योंकि किसानों ने अच्छी वर्षा होने की उम्मीद से जून में ही धान की नर्सरी लगानी शुरू कर दी थी। इसी खरीफ सीजन की अन्य फसलों की बोवाई नहीं हो पा रही है। केंद्र व प्रदेश सरकार अब सूखे का आंकलन करने में जुट गई है।
इन फसलों पर पड़ रहा प्रभाव
फसल का नाम – लक्ष्य से पीछे हेक्टेयर में
मक्का – 154 लाख
ज्वार – 20 लाख
बाजरा – 16 लाख
अन्य मोटे अनाज – चार लाख
उर्द – 132 लाख
मूंग – चार लाख
अरहर – 51 लाख
मूंगफली – चार लाख
जुलाई में हुई बारिश तुलनात्मक :
वर्ष 2018 में 331.1 एमएम
– वर्ष 2019 में 240.28 एमएम
वर्ष 2020 में 219.6 एमएम
– वर्ष 2021 में 19.2 एमएम
– वर्ष 2022 में 19.5 एमएम (जून से जुलाई में अब तक)
Author: samachar
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