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18 January 2025 4:28 pm

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योगी-मोदी जी! पता है आपको, पिछले डेढ दशक से खुले आसमान के नीचे जैसे तैसे चल रहा है सरकारी स्कूल ?

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट 

बहराइच : इस तस्वीर को जरा गौर से देखिए। यह महसी तहसील के प्राथमिक विद्यालय सुकईपुर की है। यहां छात्र मौसम की मार झेलते हुए ककहरा सीखते हैं। यहां से महज 100 मीटर दूर खुले आसमान के नीचे पूर्व माध्यमिक विद्यालय मंगरवल भी संचालित है। इन स्कूलों को बीते डेढ़ दशक से भवन का इंतजार है।

प्राथमिक विद्यालय सुकईपुर व पूर्व माध्यमिक विद्यालय मंगरवल 15 वर्ष पूर्व घाघरा नदी की धारा में समाहित हो गया। इसके बाद दोनों विद्यालय प्राथमिक विद्यालय कायमपुर में संचालित होने लगे। पांच वर्ष पूर्व प्राथमिक विद्यालय कायमपुर भी घाघरा की लहरों में विलीन हो गया। कायमपुर विद्यालय के लिए तो नया भवन बन गया, लेकिन इन दोनों विद्यालयों की कोई व्यवस्था नहीं हो पाई। तब से कायमपुर गांव निवासी रामधीरज अवस्थी के घर के सामने उन्हीं की जमीन में बबूल के पेड़ के नीचे प्राथमिक विद्यालय सुकईपुर संचालित हो रहा है।

शिक्षकों ने जनसहयोग से फूस का छप्पर रख लिया है। इसी के नीचे विद्यालय की कुर्सियां, मेज, श्यामपट्ट, बर्तन इत्यादि रखे जाते हैं। प्रभारी प्रधानाध्यापक नित्यानंद उपाध्याय ने बताया कि विद्यालय में 89 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। पूर्व माध्यमिक विद्यालय मंगरवल ग्राम प्रधान के घर के सामने खुले में संचालित किया जाता है। प्रधान शिक्षक आनंद प्रकाश मिश्र ने बताया कि कुल 100 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं।

विद्यालय की समस्त सामग्री बक्से में भरकर ग्राम प्रधान के यहां रखी जाती है। घर के सामने खाली पड़ी जमीन में छात्र-छात्राओं को शिक्षा दी जाती है। जब बरसात होती है तो छात्र-छात्राएं भीगने से बचने के लिए दूसरों के घरों में भागते नजर आते हैं।

यहां शौचालय की व्यवस्था है न ही स्वच्छ पेयजल की। इंडिया मार्का-टू हैंडपंप न लगा होने से बच्चे व गुरुजी साधारण नल का पानी पीने को विवश हैं। किसी तरह रसोईंया ग्रामीणों के दरवाजे पर मध्याह्न भोजन बनाकर नौनिहालों को परोसती हैं। 

खंड शिक्षाधिकारी महसी, रामतिलक वर्मा कहते हैं कि स्कूलोंं के भवन निर्माण के लिए प्रस्ताव बनाकर ग्राम प्रधान ने दिया है। संस्तुति होते ही भवन निर्माण शुरू करवाया जाएगा।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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