चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
कर्नलगंज, गोण्डा। करनैलगंज का बरगदी कोर्ट का प्रभाव करनैलगंज में पूरी तरह से रहता है। करनैलगंज में एक तीसरा भी राज घराना है।
इस बार करनैलगंज के विधायक अजय प्रताप सिंह का न टिकट कट गया है, बल्कि बगावत कर दिया है। अब अपने सुपुत्र को सपा से सदस्यता ग्रहण करा कर योगेश प्रताप सिंह की मदद करने की तैयार की है।
करनैलगंज विधानसभा सीट पर अधिकांश समय तक राजनीति दो घरानों के बीच ही सिमटी रही। जिसमें धनावा स्टेट के कुंवर अजय प्रताप सिंह लल्ला भैया व पूर्व राज्यमंत्री योगेश प्रताप सिंह का घराना शामिल रहा। अधिक समय व सबसे ज्यादा इस सीट पर हिंदू महासभा व भाजपा के प्रत्याशी ही जीतते आये हैं। जबकि यहां से कांग्रेस, सपा व बसपा के प्रत्याशी भी जीते हैं।
क्षेत्र कर्नलगंज में वर्षों पुरानी राजनीतिक खाईं को पाटते हुये भंभुआ व बरगदी कोट के बीच की दूरियां आज सिमट गई। कुंवर अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया ने बड़ा दाँव खेलते हुए अपने विरोधी रहे पूर्व मंत्री एवं समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी योगेश प्रताप सिंह को अपने समर्थन का ऐलान कर दिया।
जैसा कि पहले ही आशंका जताई गई थी कि राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी कुंवर अजय प्रताप सिंह ‘लल्ला भैया’ कतई चुप बैठने वाले नहीं हैं।
मालूम हो कि दोनों घरानों के बीच हुई आपसी गुपचुप सन्धि के बाद सोमवार 31 जनवरी को दोपहर में पूर्व मंत्री योगेश प्रताप सिंह अपने भंभुवा आवास से एक लम्बे काफिले के साथ निकलकर सीधे बरगदी कोट पहुँचे जहां लल्ला भैया के दोनों सुपुत्रों द्वारा उनकी अगुवानी की गई और वह सीधे राजभवन के अन्दर पहुँचकर अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया से मिले। वहीं लंबी वार्तालाप के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए पूर्व मंत्री योगेश प्रताप सिंह ने बताया कि किसी बड़े मुद्दे के लिए दिल भी बड़ा करना पड़ता है। लल्ला भैया ने अपना दिल बड़ा किया है, हमारे कार्यकर्ताओं ने अपना दिल बड़ा किया है।
उन्होंने कर्नलगंज विधानसभा क्षेत्र की जनता को अपना परिवार बताते हुए कहा कि हमारे और लल्ला भैया के बीच में कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी केवल राजनीतिक विचारधारा अलग थी।
मौजूदा राजनीति हालात पर हुई आपसी समझौते को लेकर उन्होंने चौंकाने वाला एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि इसके पहले भी वर्ष 1984 में जब उनके पिताजी उमेश्वर प्रताप सिंह कांग्रेस से चुनाव लड़े थे और भारी मतों से विजयी हुये थे तब आज जैसी परिस्थितियों में स्व.बाबा मदन मोहन सिंह का बड़ा आशीर्वाद मिला था।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1984 के चुनाव में परसपुर से सूर्यकांत सिंह एडवोकेट जनता पार्टी उम्मीदवार थे। प्रेस वार्ता के दौरान लल्ला भैया के सुपुत्र कुँवर शारदेन मोहन ने कहा कि कर्नलगंज की जनता व उसके सम्मान को बिकने नहीँ देंगे इसके लिए कुछ भी करना पड़े तो किया जायेगा। इस प्रेसवार्ता के दौरान एक सवाल के जवाब में उन्होंने आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में लड़ने का संकेत दिया। इस दौरान दोनों दिग्गजों केेेे समर्थक काफी संख्या में मौजूद रहे।
बताना होगा कि ठाकुर मतदाता बहूल्य होने के कारण यहां पर सबसे ज्यादा विधायक भी इसी जाति से निर्वाचित होते रहे हैं। 1980 और 1985 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी उमेश्वर प्रसाद सिंह ने जीत दर्ज की। 1989 में निर्दलीय प्रत्याशी कुंवर अजय प्रताप सिंह उर्फ लल्ला भैया ने जीत दर्ज की। 1991 से पहले वह भाजपा में शामिल हो गए। फिर उन्होंने बीजेपी से 1991 में जीत दर्ज की और भाजपा का खाता खोला। 1990 में रामजन्म भूमि का मुद्दा उठने के बाद रामलाहर में 1993 और 1996 के विधानसभा चुनाव में भी वह लगातार चुनाव जीते। इस तरह वह लगातार चार विधानसभाओं में निर्वाचित हुए हैं। 2002 में बसपा से योगेश प्रताप सिंह ने जीत दर्ज की। इस बीच करनैलगंज में उपचुनाव हुआ। जिसमें लल्ला भैया की बहन बृज सिंह विधायक चुनी गईं। 2007 में कांग्रेस के प्रत्याशी अजय प्रताप सिंह ने जीत दर्ज की।
Author: samachar
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