Explore

Search
Close this search box.

Search

16 March 2025 11:56 pm

उत्साह और एकता के साथ 25वें बाबा गुरबचन सिंह मेमोरियल क्रिकेट टूर्नामेंट का भव्य समापन

42 पाठकों ने अब तक पढा

“25वें बाबा गुरबचन सिंह मेमोरियल क्रिकेट टूर्नामेंट का भव्य समापन संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, समालखा (हरियाणा) में संपन्न हुआ। आइए जानते हैं पूरी खबर”

आजमगढ़। सेवा, समर्पण और एकत्व के संदेश को साकार करते हुए, 25वें बाबा गुरबचन सिंह मेमोरियल क्रिकेट टूर्नामेंट (रजत जयंती) का सफल समापन संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, समालखा (हरियाणा) में संपन्न हुआ। यह प्रतिष्ठित प्रतियोगिता 26 फरवरी 2025 से प्रारंभ हुई थी, जिसमें देशभर से 24 बेहतरीन टीमों ने भाग लिया। टूर्नामेंट में खेल प्रतिभा और आध्यात्मिक मूल्यों का सुंदर समन्वय देखने को मिला।

सेमीफाइनल और फाइनल में दिखा रोमांचक मुकाबला

इस टूर्नामेंट के सेमीफाइनल चरण में भटिंडा, बरेली, आगरा और चंडीगढ़ की टीमों ने बेहतरीन प्रदर्शन कर अंतिम चार में स्थान बनाया। 13 मार्च 2025 को खेले गए फाइनल मुकाबले में आगरा और भटिंडा की टीमों के बीच जबरदस्त प्रतिस्पर्धा देखने को मिली। आखिरकार, आगरा की टीम ने उत्कृष्ट खेल कौशल और अनुशासन का परिचय देते हुए विजयश्री प्राप्त की।

इस टूर्नामेंट में व्यक्तिगत प्रदर्शन भी सराहनीय रहा, जिसमें आगरा टीम के दीपक राजपूत को “मैन ऑफ द सीरीज” का खिताब मिला। इसके अलावा, खिलाड़ियों के उत्साह को बनाए रखने के लिए उन्हें प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।

सतगुरु माता जी की शिक्षाओं से प्रेरित आयोजन

इस पूरे आयोजन को सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन निर्देशानुसार, आदरणीय श्री जोगिंदर सुखीजा जी (सचिव, संत निरंकारी मंडल) के नेतृत्व में संपन्न किया गया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह टूर्नामेंट केवल प्रतिस्पर्धा का मंच नहीं था, बल्कि आपसी सौहार्द, प्रेम और एकत्व को साकार करने का एक अनूठा माध्यम भी बना।

समापन समारोह के दौरान मुख्य अतिथि, आदरणीय श्री एस. एल. गर्ग (कन्वीनर, केंद्रीय योजना सलाहकार बोर्ड) ने विजेता टीम को ट्रॉफी प्रदान कर सम्मानित किया। इस मौके पर संत निरंकारी मंडल की प्रधान, आदरणीय श्रीमती राजकुमारी जी भी उपस्थित रहीं। उन्होंने अपने प्रेरणादायक संबोधन में कहा कि,

“खेल केवल जीत और हार तक सीमित नहीं होते, बल्कि यह आत्म-विकास, अनुशासन, टीम भावना और सामूहिक समर्पण के प्रतीक हैं।”

खेल प्रतियोगिता से अधिक, एक आध्यात्मिक अभियान

यह टूर्नामेंट सिर्फ एक खेल आयोजन नहीं था, बल्कि सतगुरु माता जी की शिक्षाओं से प्रेरित एक आध्यात्मिक अभियान था, जिसमें प्रेम, सौहार्द और विश्व-बंधुत्व की भावना का उत्कृष्ट प्रदर्शन हुआ। खिलाड़ियों ने मैदान पर केवल जीतने के लिए नहीं, बल्कि मानवता के उच्चतम मूल्यों को अपनाने और प्रसारित करने के उद्देश्य से हिस्सा लिया।

संत निरंकारी मिशन के इस अद्वितीय प्रयास ने यह सिद्ध कर दिया कि खेल केवल प्रतिस्पर्धा का माध्यम नहीं, बल्कि प्रेम, सेवा और एकत्व को जीने का सशक्त मंच भी बन सकते हैं।

➡️जगदम्बा उपाध्याय की रिपोर्ट

Leave a comment