सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
लखनऊ: प्रयागराज महाकुंभ में एक नाविक परिवार द्वारा 30 करोड़ रुपये की कमाई के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान के बाद राजनीतिक विवाद तेज हो गया है। इस मुद्दे को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कमाई की जांच की मांग की है और इसे सत्ता संरक्षण में श्रद्धालुओं के साथ “लूट” करार दिया है।
अखिलेश यादव ने उठाए सवाल
अखिलेश यादव ने एक्स (Twitter) पर एक स्क्रीनशॉट साझा करते हुए दावा किया कि जिस नाविक परिवार की कमाई की बात हो रही है, उसका मुखिया पिंटू महरा हिस्ट्रीशीटर है। उन्होंने सरकार से पूछा कि यदि यह दावा सही है, तो इस कमाई पर GST कितना जमा हुआ?
इसके अलावा, अखिलेश ने एक अन्य पोस्ट में एक फोटो साझा की, जिसमें कुछ लोग फूलों के कचरे में सिक्के तलाशते दिख रहे हैं। उन्होंने लिखा:
“कोई करोड़ों की कमाई की कहानी सुना रहा है संसार में,
इधर कोई सिक्के ढूंढ़ता रह गया गंदगी के अंबार में।”
उन्होंने प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि “सरकार जनता के गले में कर्ज का नौलखा हार डाल रही है, लेकिन महाकुंभ से तीन लाख करोड़ की कमाई का हिसाब कहां है?”
संजय निषाद का पलटवार: निषादों का अपमान मत करो
इस विवाद पर निषाद पार्टी के अध्यक्ष और मत्स्य मंत्री डॉ. संजय निषाद ने सपा अध्यक्ष को करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि “नाविकों की मेहनत से हुई कमाई को लूट बताना निषाद समाज का अपमान है।”
डॉ. निषाद ने तंज कसते हुए कहा कि “सपा पिछली बार हाफ हो गई थी, इस बार पूरी तरह साफ हो जाएगी।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि श्रद्धालुओं ने आस्था और सौभाग्य की कामना से नाविकों को धन दिया, लेकिन सपा को यही कमाई लूट नजर आ रही है।
कांग्रेस ने भी खड़े किए सवाल
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने भी 30 करोड़ की कमाई पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि “भले ही सरकार आपराधिक रिकॉर्ड को भूल जाए, लेकिन यह बताना चाहिए कि इस कमाई पर टैक्स जमा हुआ या नहीं?”
उन्होंने आरोप लगाया कि “महाकुंभ में श्रद्धालुओं को ठगा गया।”
क्या कहती है सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट?
डॉ. संजय निषाद ने अपनी दलील को मजबूत करने के लिए सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि पिछड़ों के 27% आरक्षण का सबसे अधिक लाभ यादव बिरादरी (मिल्कमैन) को मिला, लेकिन अब सपा निषाद समाज की कमाई पर सवाल उठा रही है।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप जारी
इस पूरे विवाद ने यूपी की राजनीति को गर्मा दिया है। जहां अखिलेश यादव इसे सत्ता-संरक्षित लूट बता रहे हैं, वहीं भाजपा और निषाद पार्टी इसे निषाद समाज के खिलाफ साजिश करार दे रही हैं।
अब देखने वाली बात होगी कि सरकार इस मुद्दे पर वास्तविक आंकड़े सामने लाती है या नहीं, और क्या इस मामले में आगे कोई जांच होती है?
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Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की