अब्दुल मोबीन सिद्दीकी की रिपोर्ट
कानपुर के उर्सला अस्पताल में मंगलवार सुबह 10:45 बजे अचानक हड़कंप मच गया जब डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने बिना किसी पूर्व सूचना के निरीक्षण किया। उनके औचक निरीक्षण से अस्पताल प्रशासन और स्टाफ में अफरा-तफरी मच गई।
मरीजों से हालचाल लिया, स्टाफ से पूछताछ की
जैसे ही डीएम अस्पताल में दाखिल हुए, उन्होंने सबसे पहले मरीजों से उनकी स्थिति के बारे में पूछा। जो मरीज फर्श पर बैठे थे, उनसे भी इलाज की स्थिति के बारे में जानकारी ली। इसके बाद उन्होंने डॉक्टर्स और अस्पताल स्टाफ से आयुष्मान योजना की सुविधाओं को लेकर सवाल किए।
इसी दौरान, जब एक अधिकारी ने पीछे से जवाब दिया, तो डीएम बिफर पड़े। उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, “मैं किसी और से पूछता हूं, और जवाब कोई और देता है!” उनके कड़े तेवर देखकर वहां मौजूद डॉक्टर्स और स्टाफ के बीच सन्नाटा छा गया।
डॉक्टर्स के साथ मीटिंग, सेवा भाव पर जोर
निरीक्षण के बाद डीएम ने उर्सला प्रशासन और डॉक्टर्स के साथ बैठक की। इस दौरान उन्होंने प्रोफेसर की भूमिका निभाते हुए कहा कि, “आप सबको सफेद कोट के लिए जाना जाता है। इस कोट से सेवा भाव झलकना चाहिए।”
उन्होंने डॉक्टर्स को यह भी याद दिलाया कि उनकी सैलरी लाखों में होती है, लेकिन यदि वे मानवता के साथ मरीजों का इलाज करेंगे, तो लोगों की दुआएं बोनस में मिलेंगी।
सस्ती एमआरआई सुविधा पर दी जानकारी
डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने उर्सला अस्पताल में मौजूद अत्याधुनिक एमआरआई मशीन की भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि जहां प्राइवेट अस्पतालों में एमआरआई कराने का खर्च 20,000 रुपये तक होता है, वहीं उर्सला में यह सुविधा मात्र 2,500 से 6,000 रुपये में उपलब्ध है।
डीएम के इस औचक निरीक्षण ने अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उनके कड़े तेवर से डॉक्टर्स और स्टाफ को यह संदेश मिल गया कि सरकारी अस्पतालों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अब देखना होगा कि डीएम की इस सख्ती का अस्पताल प्रशासन पर कितना असर पड़ता है और क्या मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाती हैं या नहीं।
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Author: जगदंबा उपाध्याय, मुख्य व्यवसाय प्रभारी
जिद है दुनिया जीतने की