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22 February 2025 1:57 pm

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9 इंच के पापड़, सफीक ने घर-घर बेचकर खड़ा कर दिया 3 अलीशान बंग्ला, रोज की आमदनी आपको चौंका देगी

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के रहने वाले मोहम्मद सफीक ने अपनी मेहनत और अनोखे आइडिया से एक ऐसा पापड़ बनाया है, जिसकी वजह से आज वह तीन आलीशान मकानों के मालिक बन चुके हैं। सफीक ने न सिर्फ बहराइच में दो मकान बनाए हैं, बल्कि राजस्थान में भी एक मकान खड़ा कर लिया है।

सालों से अपने हाथों से तैयार किए गए इस विशेष पापड़ को बेचकर सफीक हर महीने हजारों रुपये की कमाई कर रहे हैं। उनकी मेहनत और यह अनोखा पापड़ उन्हें एक सफल व्यवसायी बना चुका है।

10 रुपये में बिकने वाला 9 इंच का खास पापड़

मोहम्मद सफीक जो पापड़ बनाते हैं, वह साधारण पापड़ों से अलग है। इस पापड़ की लंबाई करीब 9 इंच होती है, जो आमतौर पर मिलने वाले पापड़ों से काफी बड़ा है। इसे बनाने के लिए सफीक खास तरीके से चावल के घोल में मैदा और नमक मिलाते हैं और फिर उसे सही आकार देकर सुखने के लिए छोड़ देते हैं।

एक दिन बाद यह पापड़ तलने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाता है। इसे तलकर हल्का मसाला डालकर ग्राहकों को परोसा जाता है। इसके अनोखे स्वाद के कारण इसे खाने वालों की भीड़ लग जाती है।

कैसे शुरू हुआ सफीक का सफर?

मोहम्मद सफीक ने इस खास पापड़ की रेसिपी किसी से सीखी थी। इसे सीखने के बाद उन्होंने इसे बनाने का काम शुरू किया और बहराइच जिले में घूम-घूमकर इसे बेचना शुरू कर दिया। सफीक का यह बिजनेस धीरे-धीरे इतना बढ़ा कि आज वे रोजाना 3000 से 4000 रुपये तक कमा लेते हैं।

वे अपने पापड़ों को बेचने के लिए एक बड़ी झबिया (टोकरी) का इस्तेमाल करते हैं, जिसमें पॉलिथीन के अंदर पापड़ रखे जाते हैं। हर पापड़ को 10 रुपये प्रति पीस बेचा जाता है। इसे देने से पहले इसके ऊपर हल्का सा मसाला भी डाला जाता है, जिससे इसका स्वाद और भी बढ़ जाता है।

सुबह से रात तक मेहनत, फिर भी चेहरे पर मुस्कान

सफीक हर दिन सुबह 8 बजे अपने घर से निकलते हैं और पूरे दिन घूम-घूमकर पापड़ बेचते हैं। वे रात 8 बजे घर लौटते हैं। लगातार 12 घंटे की मेहनत के बावजूद उनके चेहरे पर हमेशा संतोष और खुशी झलकती है, क्योंकि उनकी मेहनत रंग ला रही है।

पापड़ बेचकर बने संपत्ति के मालिक

मोहम्मद सफीक की मेहनत का ही नतीजा है कि आज उनके पास बहराइच में दो मकान और राजस्थान में एक मकान है। उन्होंने अपने व्यवसाय को बिना किसी बड़े निवेश के सिर्फ अपनी कड़ी मेहनत और समझदारी से खड़ा किया है।

उनका यह सफर न सिर्फ बहराइच के लोगों के लिए, बल्कि हर छोटे व्यवसायी के लिए एक प्रेरणा है कि अगर इंसान सच्ची लगन और ईमानदारी से कोई काम करे, तो सफलता जरूर मिलती है।

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