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3 March 2025 9:57 am

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हल्का लेखपाल की मिलीभगत से बुजुर्ग की जमीन पर दबंगों का अवैध कब्जा, न्याय के लिए दर-दर भटक रहा पीड़ित

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संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

चित्रकूट। उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के राजापुर तहसील क्षेत्र के ग्राम पंचायत छीबों के मजरे देवहटा में एक बुजुर्ग की जमीन पर दबंगों द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है। यह कब्जा हल्का लेखपाल चंद्रिका पाण्डेय की मिलीभगत से किया गया है। पीड़ित बुजुर्ग उग्रसेन पुत्र शिवदर्शन न्याय के लिए प्रशासन के चक्कर लगा-लगा कर थक चुके हैं, लेकिन कहीं से कोई सुनवाई नहीं हो रही। उन्होंने जिलाधिकारी (DM) और उप-जिलाधिकारी (SDM) राजापुर सहित कई उच्च अधिकारियों को शिकायती पत्र दिए, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

बुजुर्ग के नाम दर्ज है जमीन, फिर भी दबंगों का अवैध कब्जा

बुजुर्ग उग्रसेन के नाम पर मौजा छीबों के गाटा संख्या 5186/01मि. (रकबा 0.105 हेक्टेयर) की जमीन सरकारी अभिलेखों में दर्ज है। वहीं, गाटा संख्या 5186/2मि. (रकबा 0.053 हेक्टेयर) केशव प्रसाद के नाम दर्ज है। इस जमीन को लेकर राजापुर तहसील के उप-जिलाधिकारी न्यायालय में धारा 116 के तहत वाद दायर किया गया है।

इसके अलावा, बांदा मंडल के आयुक्त के पास भी इस मामले की निगरानी के लिए एक याचिका विचाराधीन है। इसके बावजूद दबंगों ने लेखपाल चंद्रिका पाण्डेय से मिलीभगत कर जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया।

प्रशासन से शिकायत के बावजूद नहीं हुई कोई कार्रवाई

पीड़ित बुजुर्ग ने अपनी जमीन को वापस पाने के लिए कई बार प्रशासन से शिकायत की। उन्होंने जिलाधिकारी, उप-जिलाधिकारी और संपूर्ण समाधान दिवस में भी शिकायतें दर्ज कराई, लेकिन हर बार उनकी गुहार को अनसुना कर दिया गया।

जब कोई जांच का आदेश आता है, तो लेखपाल चंद्रिका पाण्डेय फर्जी रिपोर्ट तैयार कर मामले को दबाने का प्रयास करते हैं। प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही के कारण, न्याय मिलने की कोई उम्मीद नहीं बची है।

हताश बुजुर्ग बोले – ‘अब आत्महत्या कर लूं तो बेहतर’

लगातार हो रहे अन्याय और अधिकारियों की बेरुखी से बुजुर्ग उग्रसेन पूरी तरह से निराश हो चुके हैं। उन्होंने कहा,

“मैं अपनी जमीन वापस पाने के लिए बार-बार शिकायती पत्र दे चुका हूं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर लगाकर मैं पूरी तरह से थक चुका हूं। अब मुझे न्याय की कोई उम्मीद नहीं दिख रही। ऐसे में मेरी इच्छा होती है कि मैं अपनी जीवन लीला समाप्त कर लूं, ताकि दबंग मेरी जमीन पूरी तरह से हड़प लें और हल्का लेखपाल चंद्रिका पाण्डेय उन्हें इसका कानूनी हक दिला दें।”

प्रशासन की उदासीनता पर सवाल

बुजुर्ग उग्रसेन का मामला सरकारी तंत्र की उदासीनता को उजागर करता है। एक बुजुर्ग अपनी ही जमीन के लिए न्याय पाने को दर-दर भटक रहा है, लेकिन प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है।

अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन कब जागेगा और दोषियों के खिलाफ कब कार्रवाई होगी?

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