सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
28 जनवरी की रात प्रयागराज के संगम नोज इलाके में अमृत स्नान के दौरान भगदड़ मच गई। श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम में स्नान करने आए थे, लेकिन रात अचानक चीख-पुकार और अफरातफरी में बदल गई। लोग एक-दूसरे को कुचलते चले गए, और देखते ही देखते 30 निर्दोष जिंदगियां काल के गाल में समा गईं।
साल भर की तैयारियों और 7,535 करोड़ रुपये के भारी-भरकम खर्च के बावजूद सरकार इस भयावह त्रासदी को रोक नहीं पाई। योगी सरकार, जो कुंभ को भव्य और ऐतिहासिक बनाने का दावा कर रही थी, अब इस हादसे के दाग से घिर गई है।
रातभर बेचैन रहे सीएम योगी, मोदी ने चार बार फोन किया
घटना के बाद से ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का चेहरा बुझा हुआ था। जब भी किसी अफसर से हादसे की जानकारी लेते, उनकी आवाज में दर्द साफ झलकता। वह भावुक हो उठे थे, लेकिन खुद को संभालते हुए पूरे हालात पर नजर बनाए रखी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चार बार फोन कर घटना की जानकारी ली। योगी बिना खाए-पिए, बिना रुके बैठक दर बैठक करते रहे। पूरे सिस्टम को फिर से खड़ा करने की कोशिश में जुट गए। आधी रात तक अफसरों के साथ बैठकों का दौर चलता रहा।
प्रयागराज भेजे गए दो अनुभवी अधिकारी
भगदड़ के तुरंत बाद, योगी सरकार ने 2019 के कुंभ में तैनात दो अनुभवी IAS अफसरों— आशीष गोयल और भानु चंद्र गोस्वामी— को प्रयागराज भेजने का फैसला किया।
कौन हैं ये दोनों अफसर?
IAS आशीष गोयल: वर्तमान में राज्य के विकास कार्यों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
IAS भानु चंद्र गोस्वामी: इस समय उत्तर प्रदेश के राहत आयुक्त हैं। वह पहले वाराणसी, लखनऊ, जौनपुर, श्रावस्ती और प्रयागराज के डीएम भी रह चुके हैं। 2009 के UPSC सिविल सेवा परीक्षा में उन्होंने ऑल इंडिया 33वीं रैंक हासिल की थी।
मुख्य सचिव और DGP भी मौके पर पहुंचे
मुख्य सचिव मनोज सिंह और डीजीपी प्रशांत कुमार घटना के बाद ही प्रयागराज पहुंच गए थे। उन्होंने वहां की स्थिति का जायजा लिया और पूरी रिपोर्ट तैयार कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी।
देर रात मीटिंग में अहम फैसले
सीएम योगी ने कल रात ही आपातकालीन बैठक बुलाई। अफसरों से कहा कि संगम क्षेत्र की व्यवस्थाओं को फौरन दुरुस्त किया जाए।
अधिक पुलिस बल और राहत दल तैनात किए जाएं।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।
भविष्य में ऐसी घटना दोबारा न हो, इसके लिए हरसंभव कदम उठाए जाएं।
अंततः सवाल सरकार पर!
इतनी मौतों के बाद भी अमृत स्नान जारी रहा। लेकिन इस भयावह हादसे ने प्रशासन की तैयारियों पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। जिन श्रद्धालुओं ने आस्था के साथ संगम में डुबकी लगाई, उनमें से 30 लोग जिंदगी की डुबकी लगा गए।
यह त्रासदी सिर्फ एक सरकारी चूक नहीं, बल्कि उन परिवारों के लिए एक ऐसी वेदना है, जिसे शब्दों में नहीं समेटा जा सकता।