सुरेन्द्र मिन्हास की रिपोर्ट
बिलासपुर(चान्दपुर)। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के नम्होल से संबंध रखने वाले युवा साहित्यकार मनोज कुमार ‘शिव’ की रचनाएँ अब देशभर के विद्यार्थी अपने पाठ्यक्रम में पढ़ेंगे। यह गौरवपूर्ण अवसर सत्र 2025-26 में मिला है, जब उनकी तेरह रचनाओं को सीबीएसई और आईसीएसई के विभिन्न कक्षाओं के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।
उनकी रचनाएँ प्रतिष्ठित विवा एजुकेशन की पाठ्यपुस्तक श्रृंखला ‘परमिता,’ ‘सुरखी’ और ‘संचिता’ के माध्यम से पढ़ाई जाएंगी। ये पुस्तकें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2022 और 2023 के दिशा-निर्देशों के अनुसार तैयार की गई हैं।
शामिल रचनाएँ
1. कक्षा 2: बाल कविता – ‘जंगल में बरसात’
2. कक्षा 3: बाल कविताएँ – ‘पेड़ पौधे’ और ‘चारपाई’
3. कक्षा 4: बाल कविताएँ – ‘कंप्यूटर अंकल’ और ‘उत्तम स्वास्थ्य’
4. कक्षा 5: कविताएँ – ‘पर्यावरण से प्यार’ और ‘मेरा गाँव’
5. कक्षा 6: कविताएँ – ‘विद्यालय की ओर’ और ‘स्वास्थ्य और योगक्षेम’
6. कक्षा 7: बाल कविता – ‘ओ मधुमक्खी’
7. कक्षा 8: बाल कहानी – ‘चुन्नू को हुआ एहसास’, यात्रा संस्मरण – ‘लाहौल की खूबसूरती यादें’ और बाल कविता – ‘प्रकृति प्रेम’।
साहित्यिक योगदान और पहचान
मनोज कुमार ‘शिव’ की रचनाएँ पहले भी देश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में प्रकाशित होती रही हैं। उनका हाल ही में प्रकाशित बाल काव्य संग्रह ‘गीत गाते अक्षर’ बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ है। इससे पहले भी उनकी रचनाएँ लीड संस्था द्वारा तैयार किए गए पाठ्यक्रम में शामिल की गई थीं।
जीवन परिचय
मनोज कुमार ‘शिव’ वर्तमान में हिमाचल प्रदेश ग्रामीण बैंक की बलद्वारा शाखा, जिला मंडी में अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला नम्होल से प्राप्त की और स्नातक की पढ़ाई जीपीजीसी बिलासपुर से विज्ञान विषय में पूरी की। उनका साहित्यिक रुझान दसवीं कक्षा के बाद विकसित हुआ और उनकी रचनाएँ शब्द मंच, हैड न्यूज़ हिमाचल, गिरिराज, और अन्य समाचार पत्रों में प्रकाशित होने लगीं।
सम्मान और सक्रियता
सरकारी सेवा में आने से पहले वे कल्याण कला मंच बिलासपुर और बिलासपुर लेखक संघ के सक्रिय सदस्य रहे। उन्हें आशुतोष नवोदित लेखन सम्मान सहित कई पुरस्कारों से नवाजा गया है। उनकी लेखनी में कविता, कहानी, कथा, और यात्रा संस्मरणों की विशेष छवि है, जिसे पाठक बड़े चाव से पढ़ते हैं।
यह उपलब्धि न केवल मनोज कुमार ‘शिव’ के लिए बल्कि हिमाचल प्रदेश के लिए भी गर्व का विषय है। उनकी रचनाएँ अब नई पीढ़ी को साहित्य से जोड़ने और नैतिक मूल्यों को समझाने में सहायक होंगी।