चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
बहराइच जिले के कतर्नियाघाट वन्यजीव अभ्यारण्य से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। सुजौली थाना क्षेत्र के मजरा बनकटी गांव में रहने वाले 55 वर्षीय शिवधर चौहान जंगल में लकड़ी बीनने गए थे, लेकिन उनका वापस लौटना मौत का पैगाम लेकर आया। शनिवार शाम, जब शिवधर काफी देर तक घर नहीं लौटे, तो उनके परिजन और गांववाले परेशान हो गए।
जंगल में हुआ खौफनाक मंजर
रविवार सुबह, जब गांववाले और परिवार के लोग जंगल में उनकी तलाश में पहुंचे, तो वहां का दृश्य देखकर उनकी रूह कांप उठी। शिवधर का क्षत-विक्षत शव जंगल में पड़ा हुआ था। उनका निचला शरीर पूरी तरह गायब था, जबकि अन्य अवशेष जगह-जगह बिखरे हुए थे। शव को ग्रामीणों ने इकट्ठा किया और उसे कपड़े में बांधकर घर लाए।
बाघ के हमले का शिकार
थाना प्रभारी हरीश सिंह ने बताया कि यह घटना बाघ के हमले का नतीजा है। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है, और वन विभाग ने घटना की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन गांव में भय और आक्रोश का माहौल है।
वन विभाग ने दी आर्थिक सहायता, ग्रामीणों में रोष
वन विभाग की ओर से पीड़ित परिवार को 5,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी गई है, लेकिन ग्रामीणों ने इसे नाकाफी बताते हुए नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने सुरक्षा उपायों की मांग की है।
कतर्नियाघाट में मानव-पशु संघर्ष का इतिहास
यह पहली घटना नहीं है जब इस इलाके में इंसान बाघ या तेंदुए का शिकार हुआ हो। इससे पहले भी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। कुछ साल पहले एक आठ वर्षीय बच्ची को तेंदुए ने मार डाला था।
ग्रामीणों का कहना है कि जंगल के नजदीक रहना उनके लिए हर दिन खतरनाक होता जा रहा है। वन विभाग और प्रशासन से उनकी अपील है कि ऐसे हमलों को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं।