चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में बिजली क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ विरोध तेज हो गया है। इसी कड़ी में आज विद्युत तकनीकी कर्मचारी एकता संघ के केंद्रीय नेतृत्व के आह्वान पर लखनऊ जिला कमेटी द्वारा अधीक्षण अभियंता (6, 10, 9) कार्यालय के सामने एक जनजागरण सभा का आयोजन किया गया। सभा में विभागीय कार्यों को संपन्न करने के उपरांत बड़ी संख्या में तकनीकी कर्मचारियों ने भाग लिया और निजीकरण के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की।
सभा के दौरान सभी तकनीशियनों ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया और निजीकरण को आम जनता, किसानों और ऊर्जा क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए घातक करार दिया। संघ के केंद्रीय अध्यक्ष विभांशु कुमार सिंह ने अपने संबोधन में सरकार की इस नीति को असंवैधानिक बताया और कहा कि ऊर्जा क्षेत्र का निजीकरण न केवल कर्मचारियों के भविष्य के लिए खतरा है, बल्कि गरीबों और किसानों के लिए भी नुकसानदायक होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि संगठन इस फैसले का हर स्तर पर विरोध करेगा और इसे किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने देगा।
सभा को संबोधित करते हुए जिला मंत्री सुनील प्रजापति ने कहा कि निजीकरण से बिजली की दरें बढ़ेंगी, जिससे आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। उन्होंने सरकार से इस निर्णय को तत्काल वापस लेने की मांग की और कहा कि संगठन आंदोलन को और तेज करेगा।
इस विरोध सभा की अध्यक्षता केंद्रीय अध्यक्ष विभांशु कुमार सिंह ने की। इस दौरान शशि कांत, मान सिंह, ब्रिजेश कुमार, साद सिद्दीकी, सुनील प्रजापति, सुबोध, आलोक, विकास, विनय दुबे समेत कई कर्मचारी मौजूद रहे।
संगठन ने स्पष्ट किया कि यदि उनकी मांगों को अनदेखा किया गया, तो वे व्यापक आंदोलन छेड़ने के लिए बाध्य होंगे।