चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में 19 साल पहले हुई हत्या के मामले में अदालत ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाया। अपर जिला न्यायालय-सप्तम ने आरोपी को दोषी करार देते हुए सश्रम आजीवन कारावास और 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। इस फैसले के साथ ही मृतक के परिवार को न्याय मिलने की उम्मीद पूरी हुई।
क्या था पूरा मामला?
घटना 24 दिसंबर 2005 की है, जब कौशांबी जिले के सैनी थाना क्षेत्र में रामकुमार यादव के बेटे राम सुमेर यादव की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड के बाद स्थानीय थाने में मामला दर्ज कराया गया था। पुलिस ने जांच के बाद आरोपी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की और अदालत में मुकदमे की सुनवाई शुरू हुई।
क्यों हुई थी हत्या?
इस मामले में एक उच्चतम माध्यमिक विद्यालय के तत्कालीन प्रधानाचार्य राम सिंह के बेटे तेज सिंह को मुख्य आरोपी बनाया गया था। सरकारी वकील संजय कुमार मिश्रा के अनुसार, राम सिंह का अपने बेटे तेज सिंह से अक्सर विवाद रहता था। राम सिंह के विद्यालय में राम सुमेर यादव चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में कार्यरत था। राम सिंह जब भी बाहर जाते थे, तो यादव को अपने साथ ले जाते थे।
इसी बात को लेकर तेज सिंह के मन में सुमेर यादव के प्रति गहरी नाराजगी थी। उसे लगता था कि उसके पिता यादव को जरूरत से ज्यादा महत्व दे रहे हैं। इसी रंजिश के चलते तेज सिंह ने 24 दिसंबर 2005 को राम सुमेर यादव की गोली मारकर हत्या कर दी। हत्या के बाद शव को गांव के बाहर नहर के किनारे एक गड्ढे में फेंक दिया गया, ताकि घटना को छिपाया जा सके।
19 साल बाद आया फैसला
हत्या के इस मामले में सुनवाई लगातार जारी रही और दोनों पक्षों की दलीलें अदालत के समक्ष पेश की गईं। शुक्रवार को अदालत ने सभी सबूतों और गवाहों के आधार पर आरोपी तेज सिंह को दोषी ठहराया। अपर जिला न्यायालय-सप्तम ने उसे सश्रम आजीवन कारावास और 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
सरकारी वकील संजय कुमार मिश्रा ने कहा कि यह फैसला न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। पीड़ित परिवार को वर्षों बाद इंसाफ मिला है, जिससे उनमें संतोष है।