हरीश चन्द्र गुप्ता की रिपोर्ट
रायपुर: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व आबकारी मंत्री और कांग्रेस नेता कवासी लखमा को गिरफ्तार कर लिया है। गिरफ्तारी के बाद बुधवार शाम उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें 7 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। यह गिरफ्तारी ईडी द्वारा लखमा से तीसरी बार पूछताछ के बाद की गई है।
शराब घोटाले में लखमा पर क्या आरोप हैं?
ईडी के वकील सौरभ पांडे के अनुसार, इस घोटाले में महत्वपूर्ण गवाहों और आरोपियों के बयानों में कवासी लखमा का नाम सामने आया था। पूर्व राज्य उत्पाद आयुक्त अरविंद सिंह के बयान के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में शराब कार्टल से कवासी लखमा को हर महीने 50 लाख रुपये दिए जाते थे। वहीं, ईडी के अन्य गवाह अरुणपति त्रिपाठी ने बताया कि इसके अलावा उन्हें हर महीने 1.5 करोड़ रुपये अतिरिक्त मिलते थे। इस तरह, कुल मिलाकर 2 करोड़ रुपये प्रतिमाह लखमा को दिए जाते थे।
ईडी के मुताबिक, यह घोटाला 36 महीने तक चला, यानी इस दौरान कवासी लखमा को करीब 72 करोड़ रुपये मिले। जांच में यह भी सामने आया कि उत्पाद विभाग के अधिकारी इकबाल खान और जैन देवांगन इन पैसों को व्यवस्थित करके लखमा तक पहुंचाने में शामिल थे।
पैसों का इस्तेमाल कहां हुआ?
ईडी ने दावा किया कि ये धनराशि लखमा के बेटे हरीश लखमा के घर के निर्माण और सुकमा में कांग्रेस भवन बनाने में खर्च की गई। जब जगन्नाथ साहू और उनके बेटे हरीश लखमा के यहां छापा मारा गया, तो वहां से महत्वपूर्ण डिजिटल सबूत मिले, जिनकी जांच में यह तथ्य सामने आया।
सहयोग न करने पर गिरफ्तारी
ईडी के वकील ने बताया कि पूछताछ के दौरान कवासी लखमा ने जांच में सहयोग नहीं किया और ऐसे संकेत मिले कि वह साक्ष्यों को नष्ट कर सकते हैं। इसी आधार पर उन्हें गिरफ्तार किया गया और कोर्ट में पेश किया गया। ईडी ने 14 दिन की हिरासत की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने फिलहाल 7 दिन की न्यायिक हिरासत दी है। अब मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी।
गिरफ्तारी पर सियासी घमासान, कांग्रेस ने इसे बदले की कार्रवाई बताया
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कवासी लखमा की गिरफ्तारी पर केंद्र सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा,
“पूर्व मंत्री और वरिष्ठ विधायक कवासी लखमा की गिरफ्तारी बदले की भावना से की गई कार्रवाई है। केंद्र सरकार में बैठे लोग अपने आकाओं के इशारे पर ईडी का दुरुपयोग कर रहे हैं। कांग्रेस नेताओं को बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। लेकिन पूरी कांग्रेस पार्टी कवासी लखमा के साथ खड़ी है।”
सीएम विष्णुदेव साय बोले- जो दोषी होगा, कार्रवाई होगी
इस मामले पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भी प्रतिक्रिया दी। बिलासपुर में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा,
“ईडी द्वारा शराब घोटाले की जांच की जा रही है। इसमें जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। कानून अपना काम करेगा।”
क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?
छत्तीसगढ़ में 2019-2022 के बीच हुए शराब घोटाले में कई बड़े नेताओं, अधिकारियों और शराब माफिया के शामिल होने का आरोप है। यह घोटाला राज्य में शराब की अवैध बिक्री, ओवरप्राइसिंग और भ्रष्टाचार से जुड़ा है। ईडी की जांच में यह खुलासा हुआ कि शराब ठेकेदारों, अधिकारियों और नेताओं के बीच मिलीभगत से एक संगठित कार्टल तैयार किया गया, जो अवैध तरीके से करोड़ों रुपये कमा रहा था।
ईडी ने अब तक इस मामले में कई गिरफ्तारियां और छापेमारी की हैं। इसमें छत्तीसगढ़ के कई प्रशासनिक अधिकारियों, कारोबारी और नेताओं के नाम सामने आ चुके हैं। अब कवासी लखमा की गिरफ्तारी के बाद यह मामला और गर्मा गया है।
अब सबकी नजर 21 जनवरी को होने वाली अगली सुनवाई पर है, जहां ईडी इस घोटाले के और सबूत पेश कर सकती है।
ED ने X पर लिखा था कि, छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) 2002 के प्रावधानों के तहत रायपुर, धमतरी और सुकमा जिलों में स्थित 7 जगह तलाशी अभियान चलाया गया।
ईडी घोटाले की प्रासंगिक अवधि के दौरान कवासी लखमा द्वारा नकद में (पीओसी) प्रोसीड ऑफ क्राइम यानी की अपराध से अर्जित आय के उपयोग से जुड़े सबूत जुटाने में सक्षम हो गया है। इसके अलावा, तलाशी में कई डिजिटल डिवाइस बरामद और जब्त की गईं, जिनके बारे में माना जाता है कि उनमें आपत्तिजनक रिकॉर्ड हैं।
घोटाले की रकम 2161 करोड़
निदेशालय की ओर से लखमा के खिलाफ एक्शन को लेकर कहा गया कि, ED की जांच में पहले पता चला था कि अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अन्य लोगों का शराब सिंडिकेट छत्तीसगढ़ राज्य में काम कर रहा था। इस घोटाले की रकम 2161 करोड़ रुपए है। जांच में पता चला है कि कवासी लखमा को शराब घोटाले से पीओसी से हर महीने कमीशन मिला है ।