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15 January 2025 11:34 pm

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हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान: उज्जैन में संविधान पर परिचर्चा आयोजित

38 पाठकों ने अब तक पढा

राजू सांदड़ की रिपोर्ट

उज्जैन स्थित कालिदास अकादमी के संकुल हाल में आज “संविधान गौरव अभियान” के अंतर्गत हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान विषय पर एक भव्य परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में भारत सरकार के कानून एवं न्याय मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। साथ ही, श्री क्षेत्र वाल्मीकि धाम पीठाधीश्वर परम पूज्य राष्ट्रीय संत बालयोगी श्री उमेश नाथ महाराज, राज्यसभा सांसद के रूप में विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे।

कार्यक्रम के मुख्य आयोजक और उपस्थित गणमान्य

इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन उज्जैन के लोकसभा सांसद श्री अनिल फिरोजिया के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में कई प्रमुख नेता और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे, जिनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सत्यनारायण जटिया, विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा, विधायक सतीश मालवीय, विधायक जितेंद्र पंड्या, उज्जैन के महापौर श्री मुकेश टटवाल, नगर निगम सभापति श्रीमती कलावती यादव, और भाजपा अध्यक्ष श्री संजय अग्रवाल का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है।

इसके अलावा, भारतीय जनता पार्टी के सभी प्रमुख पदाधिकारी और कार्यकर्ता भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे, जिन्होंने कार्यक्रम को सफल बनाने में सक्रिय भागीदारी निभाई।

संविधान पर चर्चा और वक्ताओं के विचार

कार्यक्रम में उपस्थित वक्ताओं ने भारतीय संविधान के महत्व और उसकी भूमिका पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने संविधान को हमारे देश की आत्मा और स्वाभिमान का प्रतीक बताया।

श्री अर्जुन राम मेघवाल ने अपने संबोधन में कहा कि संविधान न केवल हमारे देश की प्रगति का आधार है, बल्कि यह हर भारतीय के अधिकार और कर्तव्य का मार्गदर्शक भी है।

संत बालयोगी उमेश नाथ महाराज ने संविधान को धर्म, जाति, और भाषा की सीमाओं से ऊपर उठाकर राष्ट्रीय एकता का सेतु बताया।

कार्यक्रम का संचालन

इस गरिमामय कार्यक्रम का संचालन भाजपा महामंत्री श्री सत्यनारायण खोईवाल ने कुशलता से किया। उन्होंने सभी अतिथियों और उपस्थित जनसमूह का स्वागत करते हुए संविधान गौरव अभियान के उद्देश्यों को रेखांकित किया।

कार्यक्रम ने संविधान के प्रति जागरूकता और सम्मान को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उपस्थित अतिथियों और वक्ताओं ने देशवासियों को संविधान के प्रति जागरूक रहने और उसके मूल्यों को आत्मसात करने की अपील की।

इस आयोजन ने भारतीय संविधान की महानता को रेखांकित करते हुए इसे हमारी राष्ट्रीय पहचान और गौरव का प्रतीक बताया।

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