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11 January 2025 1:21 pm

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मारुति सुजुकी के अस्थायी कर्मचारियों का आंदोलन तेज, स्थायी नौकरी और समान वेतन की मांग

58 पाठकों ने अब तक पढा

ब्रजकिशोर सिंह की रिपोर्ट

गुड़गांव, देश की सबसे बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी मारुति सुजुकी के अस्थायी और पूर्व कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन तेज कर दिया है। हजारों मज़दूरों ने गुड़गांव के डीसी कार्यालय में इकट्ठा होकर श्रम विभाग को सामूहिक मांगपत्र सौंपा। इन कर्मचारियों ने हाल ही में मारुति सुजुकी अस्थायी मजदूर संघ का गठन किया है, जो इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहा है।

प्रमुख मांगें

कर्मचारियों ने कंपनी की श्रम प्रथाओं को चुनौती देते हुए कई मांगें रखी हैं:

1. स्थायी रोजगार: अस्थायी प्रकृति के काम के लिए स्थायी कर्मचारियों की भर्ती।

2. समान काम के लिए समान वेतन: अस्थायी और स्थायी कर्मचारियों के बीच वेतन में समानता।

3. सभी कर्मचारियों का समायोजन: खरखौदा (सोनीपत) सहित सभी संयंत्रों में अस्थायी और बर्खास्त कर्मचारियों को स्थायी तौर पर नियुक्त किया जाए।

4. प्रशिक्षुओं के लिए बेहतर अवसर: प्रशिक्षु कार्यक्रम को उपयोगी बनाना और श्रम बाजार में मान्यता प्राप्त प्रमाण पत्र प्रदान करना।

आंदोलन की पृष्ठभूमि

कर्मचारी लंबे समय से कंपनी की अवैध श्रम प्रथाओं और अस्थायी कर्मचारियों के शोषण के खिलाफ आवाज़ उठा रहे हैं। मारुति के संयंत्रों में काम करने वाले 34,918 कर्मचारियों में से केवल 18% स्थायी हैं, जबकि 40.72% संविदा पर, 21.6% अस्थायी और 21% छात्र प्रशिक्षु और प्रशिक्षु हैं।

अस्थायी कर्मचारियों को छोटे अनुबंधों पर काम पर रखा जाता है, जिनकी अवधि सात महीने से लेकर दो साल तक की होती है। इसके बाद उन्हें बिना किसी निश्चित योजना के हटा दिया जाता है।

पुराने संघर्ष का नया रूप

यह आंदोलन 2011-12 के मानेसर प्लांट आंदोलन की याद दिलाता है, जब मजदूरों ने यूनियन बनाने के लिए एक साल लंबा संघर्ष किया था। उस समय कंपनी प्रबंधन ने आंदोलन को कुचलने के लिए हिंसा और पुलिस कार्रवाई का सहारा लिया था। 18 जुलाई 2012 की घटना के बाद 117 मजदूर गिरफ्तार हुए थे, और 23,000 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया था।

अक्टूबर 2024 से 2012 के बर्खास्त कर्मचारी आईएमटी मानेसर में धरने पर बैठे हैं। वे वर्तमान आंदोलन को उस संघर्ष का विस्तार मानते हैं।

काम की कठिन परिस्थितियां

कंपनी के अस्थायी कर्मचारियों को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता है:

बाथरूम ब्रेक तक सीमित।

देरी के लिए अनुपस्थित के रूप में चिह्नित किया जाना।

छुट्टी लेने पर प्रोत्साहन वेतन काट लिया जाना।

चाय के लिए केवल 7 मिनट और दोपहर भोजन के लिए मात्र 30 मिनट का समय।

कौशल विकास का दिखावा

मारुति सुजुकी हर साल हजारों छात्र प्रशिक्षुओं को भर्ती करती है, लेकिन उन्हें किसी विशेष प्रशिक्षण के बजाय उत्पादन लाइन पर तैनात किया जाता है। इन प्रशिक्षुओं को बाद में किसी अन्य रोजगार में मान्यता प्राप्त अनुभव नहीं मिल पाता।

आने वाले कदम

श्रम विभाग ने 31 जनवरी 2025 को त्रिपक्षीय बैठक बुलाई है।

30 जनवरी को आईएमटी मानेसर में एक बड़े मज़दूर मार्च की घोषणा की गई है।

कर्मचारियों का बयान

बहादुरगढ़ के अस्थायी कर्मचारी सुमित ने कहा, “हम मज़दूर कोई फुटबॉल नहीं हैं, जिन्हें कंपनियां अपनी मर्ज़ी से बाहर निकालें।” उन्होंने अपने 12 साल के अनुभव से ऑटोमोबाइल उद्योग में कर्मचारियों के शोषण की सच्चाई उजागर की।

मारुति सुजुकी का पक्ष

प्रबंधन का कहना है कि उन्होंने अस्थायी कर्मचारियों की शिकायतों को हल कर लिया है। लेकिन मौजूदा आंदोलन इन दावों पर सवाल उठाता है और यह बताता है कि अस्थायी कर्मचारियों की समस्याएं अब भी जस की तस हैं।

मारुति सुजुकी के अस्थायी कर्मचारियों का यह आंदोलन न केवल उनके अधिकारों के लिए संघर्ष है, बल्कि यह पूरे ऑटोमोबाइल उद्योग में श्रम प्रथाओं की सच्चाई को उजागर करता है। यह देखना बाकी है कि क्या कंपनी और सरकार मज़दूरों की इन मांगों को गंभीरता से लेती हैं। 

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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