कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
देशभर में नए साल का जश्न बड़े धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया गया। लोगों ने अलग-अलग तरीकों से इस खास दिन को सेलिब्रेट किया। कुछ ने भगवान की पूजा-अर्चना की, तो कुछ ने जरूरतमंदों को दान देकर अपने नए साल की शुरुआत की। वहीं, बड़ी संख्या में लोगों ने पार्टियों और म्यूजिक पर डांस करते हुए शराब पीकर जश्न मनाया। इस दौरान शराब की बिक्री के मामले में देश ने एक नया रिकॉर्ड कायम किया है।
उत्तर प्रदेश: सबसे ज्यादा शराब की खपत
उत्तर प्रदेश ने इस साल शराब बिक्री के मामले में बाजी मारी है। नए साल के मौके पर यहां 600 करोड़ रुपये की शराब की बिक्री हुई। राज्य के प्रमुख शहरों में जमकर पार्टियां हुईं और शराब के शौकीनों ने खुलकर अपनी प्यास बुझाई।
दिल्ली-एनसीआर: 400 करोड़ की शराब बिकी
दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में भी शराब की बिक्री में जबरदस्त उछाल देखा गया। यहां कुल 400 करोड़ रुपये की शराब बिकने की खबर है। दिल्ली में नाइट पार्टियों और क्लबों में लोगों ने जमकर शराब का सेवन किया।
कर्नाटक और तेलंगाना भी पीछे नहीं
दक्षिण भारत के राज्यों ने भी शराब की बिक्री में बड़ी हिस्सेदारी निभाई। कर्नाटक में नए साल पर 308 करोड़ रुपये की शराब बिकी, जबकि तेलंगाना में लोगों ने 402 करोड़ रुपये की शराब गटक ली।
केरल: 108 करोड़ की शराब की बिक्री
पर्यटन के लिए मशहूर केरल में भी शराब की खपत कम नहीं रही। नए साल पर यहां 108 करोड़ रुपये की शराब बिकी। इसके साथ ही ऑनलाइन ऐप्स पर चकना जैसे आलू भुजिया, चिप्स और आइस क्यूब की भी भारी बिक्री दर्ज की गई।
उत्तराखंड: 15 करोड़ की बिक्री
पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में भी नए साल का जश्न जोर-शोर से मनाया गया। खासकर देहरादून और नैनीताल जैसे टूरिस्ट स्पॉट्स पर शराब की खपत ज्यादा रही। राज्य में कुल 15 करोड़ रुपये की शराब की बिक्री हुई। यहां एक दिन के लिए 600 बार लाइसेंस जारी किए गए थे, जिनमें 37 हजार से ज्यादा अंग्रेजी शराब की पेटियां बिकीं।
नोएडा: 16 करोड़ की शराब दो दिन में बिकी
नोएडा में नए साल के जश्न पर सिर्फ दो दिनों में 16 करोड़ रुपये की शराब बिकी। यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में काफी ज्यादा है।
नए साल पर शराब की खपत का नया रिकॉर्ड
देशभर में नए साल पर शराब की खपत ने एक नया माइलस्टोन हासिल किया है। अलग-अलग राज्यों से आई रिपोर्ट्स से साफ है कि लोगों ने जश्न मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। शराब की बिक्री के साथ ही खाने-पीने के अन्य सामानों की भी भारी खपत हुई।
यह आंकड़े भारतीय समाज में शराब के बढ़ते चलन और जश्न मनाने के बदलते तरीकों को भी दर्शाते हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."