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7 January 2025 3:40 pm

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कोई इसे सनकी कह रहा है तो कोई जल्लाद : बदरुद्दीन और अरशद की हैवानियत से दहशत में मोहल्ला

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

लखनऊ और आगरा के इस्लाम नगर क्षेत्र में घटित एक जघन्य अपराध ने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया है। मोहम्मद बदर उर्फ बदरुद्दीन और उसके बेटे अरशद ने मिलकर बदरुद्दीन की पत्नी और चार बेटियों की हत्या कर दी। इस क्रूर कृत्य के बाद से मोहल्ले के लोग बदहवासी में हैं और खुलकर बदरुद्दीन और अरशद के अमानवीय व्यवहार की चर्चा कर रहे हैं।

सनकी और जल्लाद के नाम से कुख्यात अरशद

मोहल्ले के लोग अरशद को पहले से ही “सनकी” कहकर बुलाते थे, लेकिन इस घटना के बाद से वे उसे “जल्लाद” कहने लगे हैं। लोगों का कहना है कि अरशद की मां और बहनों के साथ उसका व्यवहार हमेशा से ही बर्बर था। मोहल्ले की महिलाओं ने बताया कि अरशद अपनी बहनों की किडनी बेचने की बातें करता था, जिससे उसकी मां डरी-सहमी रहती थी। इसी डर के कारण उसकी मां ने मकान अपनी बेटियों के नाम कर दिया था।

मोहल्ले वालों की गवाही

मोहल्ले की महिलाओं ने अरशद की दरिंदगी के कई किस्से सुनाए, हालांकि कोई भी खुलकर कैमरे पर बोलने को तैयार नहीं है। एक महिला ने बताया कि एक बार जब वह अरशद के घर गई थी, तो उसने अचानक उसके पेट में लात मार दी थी, जिससे वह बेहोश होकर गिर गई थी। अरशद अपने घर में किसी को घुसने नहीं देता था और अक्सर अपनी मां और बहनों पर जुल्म करता रहता था।

एक अन्य महिला ने बताया कि जब भी बदरुद्दीन और अरशद घर पर नहीं होते थे, तो उनकी मां घर से बाहर निकलकर अपने ऊपर हुए अत्याचारों की दास्तान सुनाती थी। उन्होंने बताया कि अरशद ऐशो-आराम की जिंदगी जीने के सपने देखता था और इसके लिए अपनी बहनों की किडनी बेचने तक को तैयार था।

मस्जिद से दूरी और साजिश के आरोप

मोहल्ले के लोग यह भी बताते हैं कि बदरुद्दीन और अरशद ने कभी मस्जिद का रुख नहीं किया। उनके घर से महज 200 मीटर की दूरी पर मस्जिद है, लेकिन लोगों ने उन्हें वहां कभी आते-जाते नहीं देखा। मोहल्ले वालों का कहना है कि बाप-बेटे ने पड़ोसियों को फंसाने के लिए हिंदू धर्म अपनाने की साजिश रची है।

समाज में दहशत और आक्रोश

यह घटना न केवल मोहल्ले में बल्कि पूरे क्षेत्र में भय और आक्रोश का कारण बनी हुई है। अरशद की दरिंदगी और बदरुद्दीन की मौन सहमति ने इंसानियत को शर्मसार कर दिया है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और दोषियों को कठोर दंड देने की मांग जोर पकड़ रही है।

न्याय की प्रतीक्षा

इस निर्मम हत्याकांड ने एक बार फिर सवाल उठाए हैं कि समाज में ऐसे अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई क्यों नहीं होती। यह मामला एक उदाहरण है कि कैसे अमानवीयता और लोभ ने एक परिवार को नष्ट कर दिया। अब सबकी निगाहें कानून और न्याय व्यवस्था पर टिकी हैं।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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