जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
आजमगढ़। यह कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं। आठ साल की उम्र में मुरादाबाद के मेले में बिछड़ने वाली रौनापार थाना क्षेत्र के वेदपुर गांव की निवासी फूला देवी (फूलमती) ने आधी सदी बाद अपने परिवार से मिलकर खुशी के आंसुओं में डूबे एक यादगार क्षण को जिया। मंगलवार को जब फूला देवी अपने इकलौते भाई लालधर और अन्य परिजनों से मिलीं, तो वहां मौजूद हर किसी की आंखें भर आईं।
मुरादाबाद मेले में गुम हुई थी फूला
फूला देवी अपने ननिहाल चूंटीदार (अब मऊ जिले में स्थित) में अपनी मां श्यामादेई के साथ रहती थीं। उनकी मां के साथ वह अपने चचेरे मामा के पास मुरादाबाद गई थीं। वहीं मेले में वह अपनी मां से बिछड़ गईं। परिवार ने उन्हें ढूंढने की हर संभव कोशिश की, लेकिन फूला का कोई पता नहीं चला। साल दर साल बीतते गए, और धीरे-धीरे परिवार ने उनके लौटने की आस छोड़ दी।
नई पहचान और संघर्षपूर्ण जीवन
मेले में रोती हुई फूला को एक व्यक्ति ने सहारा दिया, लेकिन कुछ दिनों बाद उसने पैसों के लालच में रामपुर जिले के रायपुर गांव निवासी लालता प्रसाद गंगवार को बेच दिया। लालता ने फूला से शादी कर ली। शादी के बाद फूला का एक बेटा सोमपाल हुआ। हालांकि, परिवार से बिछड़ने का दर्द और अपनों की यादें हमेशा उनके दिल में रही।
फूला देवी ने रामपुर के पजावा बिलासपुर स्थित प्राथमिक विद्यालय में रसोइया का काम करते हुए जीवन गुजारना शुरू किया। हर दिन वह अपने परिवार की तलाश की उम्मीद में लोगों से अपनी कहानी साझा करती रहीं।
संयोग और मददगार हाथों का साथ
रामपुर में स्कूल की प्रधानाध्यापिका डॉ. पूजा के साथ बातचीत के दौरान फूला ने अपनी कहानी सुनाई। डॉ. पूजा उनकी दशा सुनकर भावुक हो गईं और उन्होंने फूला को परिवार से मिलाने का संकल्प लिया। इस दिशा में उन्होंने आजमगढ़ के एएसपी सिटी शैलेंद्र लाल से संपर्क किया।
एएसपी सिटी ने इस काम को ऑपरेशन मुस्कान के तहत लिया। जब पता चला कि फूला का ननिहाल अब मऊ जिले में आता है, तो उन्होंने वहां छानबीन की। कई प्रयासों के बाद फूला के गांव और मामा रामचंदर का पता चला। इसके बाद पुलिस ने फूला देवी को उनके परिवार से मिलाने की योजना बनाई।
पुनर्मिलन का भावुक क्षण
रामपुर से फूला देवी को लाकर सोमवार रात उन्हें आजमगढ़ में ठहराया गया। मंगलवार को उनके भाई लालधर और अन्य परिजनों को बुलाया गया। जब फूला ने अपने भाई को देखा, तो खुशी के आंसू छलक पड़े। अपने परिवार से गले लगते ही भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा। यह दृश्य इतना मार्मिक था कि वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें भर आईं।
पुलिस और डॉ. पूजा की सराहना
इस पुनर्मिलन के पीछे डॉ. पूजा और आजमगढ़ पुलिस की मेहनत को सभी ने सराहा। उनकी इस नेक पहल ने न केवल फूला देवी को परिवार से मिलाया, बल्कि एक मिसाल कायम की कि इंसानियत और सेवा भावना अभी भी जिंदा है।
भावनाओं से भरे बयान
फूला देवी ने कहा, “इतने सालों में मुझे कभी ऐसा नहीं लगा कि परिवार की यादें मुझसे दूर होंगी। हालांकि, मैं कभी नहीं सोचती थी कि उनसे मिल पाऊंगी। आज ऐसा लग रहा है जैसे पूरी दुनिया की खुशियां मिल गई हैं। डॉ. पूजा और पुलिस मेरे लिए भगवान से कम नहीं हैं।”
उनके भाई लालधर ने कहा, “हम तीन बहन-भाई थे। अब मेरी दो बहनें इस दुनिया में नहीं रहीं। फूला के मिलने से ऐसा लग रहा है जैसे सारा जहां मिल गया हो। इस खुशी को शब्दों में बयां करना संभव नहीं।”
यह कहानी न केवल एक परिवार के पुनर्मिलन की है, बल्कि मानवता, उम्मीद और सेवा की अद्भुत मिसाल भी है।