चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में पुलिस की बर्बरता का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। किसान हरेराम यादव ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि रिश्वत न देने पर उनकी बेरहमी से पिटाई की गई। मामले में हरेराम ने पुलिस अधीक्षक से शिकायत कर आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। वहीं, पुलिस ने इन आरोपों को पूरी तरह से निराधार बताया है।
घटना का पूरा विवरण
12 दिसंबर 2024 को किसान हरेराम यादव अपने खेत में काम कर रहे थे। तभी जनार्दन कुशवाहा नामक व्यक्ति ने जमीन विवाद को लेकर हरेराम से गाली-गलौज शुरू कर दी। जब हरेराम ने इसका विरोध किया, तो जनार्दन ने 112 नंबर पर फोन कर पुलिस बुला ली। मौके पर पहुंची पुलिस ने हरेराम को पकड़कर जमानिया थाने ले गई।
रिश्वत न देने पर हुई मारपीट
हरेराम यादव का आरोप है कि थाने ले जाकर साजिश के तहत दरोगा ने उनसे 50 हजार रुपये की रिश्वत मांगी। दरोगा ने कहा कि पैसे देने पर मामला सुलझा दिया जाएगा। जब हरेराम ने रिश्वत देने से इनकार कर दिया, तो दरोगा ने जनार्दन कुशवाहा से उन्हें डंडे से पिटवाया। इस दौरान एक सिपाही ने हरेराम को पीछे से पकड़ रखा था। खुद दरोगा और सिपाही ने भी डंडे और पट्टे से उनकी पिटाई की।
इस बर्बरता में हरेराम को गंभीर चोटें आईं, जिसमें बाहरी और अंदरूनी दोनों तरह की चोटें शामिल हैं। किसान ने घटना से आहत होकर क्षेत्राधिकारी से शिकायत की और न्याय की गुहार लगाई।
पुलिस अधीक्षक से न्याय की अपील
हरेराम यादव पुलिस अधीक्षक कार्यालय में अपनी शिकायत दर्ज कराने पहुंचे, लेकिन पुलिस अधीक्षक के छुट्टी पर होने के कारण उनसे मुलाकात नहीं हो सकी। इसके बाद उन्होंने रजिस्ट्री के माध्यम से पुलिस अधीक्षक और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को अपना प्रार्थना पत्र भेजा। हरेराम ने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की और यह भी कहा कि यदि उन्हें न्याय नहीं मिला, तो वह इस मामले को न्यायालय में ले जाएंगे।
पुलिस का बचाव और आरोपों से इनकार
इस मामले में पुलिस की ओर से आरोपों को सिरे से खारिज किया गया है। जमानिया कोतवाल आशीष नाथ सिंह ने सफाई देते हुए कहा कि जिस दिन की घटना बताई जा रही है, उस दिन चौकी प्रभारी देवरिया अजय यादव किसी अन्य साक्ष्य के लिए जिले से बाहर गए हुए थे। उन्होंने आरोपों को बेबुनियाद और निराधार बताया।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
इस घटना से गाजीपुर के स्थानीय लोग आक्रोशित हैं। उन्होंने मामले की निष्पक्ष जांच और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। पुलिस प्रशासन पर लग रहे रिश्वत और बर्बरता के आरोपों ने कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इस मामले में किस तरह की कार्रवाई करता है और क्या किसान हरेराम को न्याय मिल पाता है या नहीं।