चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
गोंडा जिले के नवाबगंज स्थित डिस्टिलरी में शराब उत्पादन के लिए उपयोग होने वाले 58 हजार लीटर एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल (ENA) के गबन का मामला सामने आया है। इस घटना ने न केवल आबकारी विभाग को झकझोर दिया है, बल्कि राज्य सरकार के राजस्व को भी भारी नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया गया है।
घटना का पूरा विवरण
यह मामला 10 अक्टूबर 2024 को सामने आया, जब मे. स्टार लाइट बुक्क्रेम लिमिटेड, आसवनी नवाबगंज की डिस्टिलरी के टैंक नंबर-13 से 27,610 लीटर एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल के बहने की जानकारी मिली। मौके पर पहुंचे आबकारी विभाग के अधिकारियों ने अन्य स्टोरेज टैंकों की जांच की, लेकिन उनमें कोई अतिरिक्त स्टॉक दर्ज नहीं पाया गया।
इसके बाद विभाग ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए 14 जून 2024 को जारी आयात परमिट की गहन पड़ताल की। जांच में यह सामने आया कि कंपनी ने मध्य प्रदेश के छतरपुर स्थित जैगपिन ब्रेवरीज लिमिटेड से 58 हजार लीटर ENA आयात किया था, लेकिन इस आयात को स्टॉक रजिस्टर में दर्ज नहीं किया गया।
कैसे हुआ खुलासा
आयात परमिट और स्टॉक रजिस्टर की गहराई से जांच में साफ हुआ कि आयात की गई 58 हजार लीटर एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल का न तो रिकॉर्ड दर्ज किया गया और न ही इसका हिसाब-किताब रखा गया। अधिकारियों ने इसे राजस्व चोरी और गैरकानूनी गतिविधियों का गंभीर मामला माना।
आरोपियों पर कानूनी शिकंजा
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि डिस्टिलरी के मालिक, उनके प्रतिनिधि और कुछ कर्मचारी इस गबन में सीधे तौर पर शामिल थे। इन लोगों ने मिलकर एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल का दुरुपयोग किया, जिससे राज्य के आबकारी विभाग को बड़े पैमाने पर राजस्व हानि हुई।
आबकारी विभाग ने तत्परता दिखाते हुए सबूत जुटाए और डिस्टिलरी प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू कर दी। मालिक, प्रबंधक और अन्य पांच कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
राज्य सरकार के राजस्व पर असर
यह घटना राज्य के आबकारी विभाग के लिए एक बड़ा झटका है। ENA की चोरी से न केवल विभागीय प्रक्रियाओं पर सवाल खड़े हुए हैं, बल्कि सरकारी खजाने को भी बड़ा नुकसान हुआ है।
अधिकारी क्या कह रहे हैं?
आबकारी विभाग के अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि इस मामले में दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। विभाग की ओर से सख्त जांच प्रक्रिया जारी है और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
यह मामला केवल आर्थिक नुकसान तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट होता है कि डिस्टिलरी में प्रबंधन स्तर पर कितनी लापरवाही और अनियमितताएं थीं। आबकारी विभाग की यह कार्रवाई एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।