नौशाद अली की रिपोर्ट
गोंडा। भारत के स्टार पहलवान बजरंग पूनिया को राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी (नाडा) ने डोप टेस्ट का सैंपल देने से इनकार करने पर चार साल का बैन लगा दिया है। इस घटनाक्रम ने खेल जगत में हलचल मचा दी है। बजरंग ने प्रतिबंध के पीछे की वजह पर सवाल उठाते हुए इसे साजिश करार दिया, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद और भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआई) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने इसे नियमों का उल्लंघन करार दिया।
बृजभूषण सिंह का बयान: “नियमों की अनदेखी का नतीजा”
गोंडा में पत्रकारों से बातचीत के दौरान बृजभूषण सिंह ने कहा कि बजरंग पूनिया और उनके जैसे खिलाड़ियों ने नियमों को मानने से इनकार कर दिया था। उन्होंने आरोप लगाया, “ये खिलाड़ी फेडरेशन और सरकार के बनाए नियमों को नहीं मानते। शायद उन्हें लगा होगा कि विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) और राष्ट्रीय डोपिंग निरोधक एजेंसी (नाडा) भी उनके नियंत्रण में चलेंगी।”
बृजभूषण ने स्पष्ट किया कि डोपिंग टेस्ट देना हर खिलाड़ी की जिम्मेदारी होती है। खिलाड़ियों को अपना स्थान और गतिविधियों की जानकारी देनी होती है। जो खिलाड़ी निर्धारित स्थान पर नहीं मिलते या डोप टेस्ट से बचने की कोशिश करते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होती है।
“हमारा कोई हस्तक्षेप नहीं”
बृजभूषण ने बजरंग पर लगे प्रतिबंध को नाडा की स्वतंत्र प्रक्रिया का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा, “यह पूरी तरह से नियमों के पालन और प्रक्रियाओं का मामला है। इसमें हमारा या किसी अन्य का कोई हस्तक्षेप नहीं है। जो लोग नियमों को मानने से इंकार करते हैं, वे इसी प्रकार के परिणाम भुगतते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि यह प्रतिबंध केवल डोपिंग रोधी एजेंसियों की सख्त नीतियों का परिणाम है। उन्होंने इसे बजरंग के व्यवहार और नियमों के प्रति उनकी उदासीनता का नतीजा बताया।
बजरंग पूनिया का पक्ष
बजरंग पूनिया ने अपने ऊपर लगे आरोपों और प्रतिबंध पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसके पीछे की कहानी कुछ और है। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें जानबूझकर फंसाया जा रहा है। हालांकि, उन्होंने इस विषय पर विस्तार से बात नहीं की।
खेल जगत में हलचल
बजरंग पूनिया, जो भारत के सबसे सफल और सम्मानित पहलवानों में से एक हैं, पर चार साल का प्रतिबंध लगना भारतीय कुश्ती के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। यह घटनाक्रम न केवल उनके करियर बल्कि भारतीय कुश्ती पर भी गहरा प्रभाव डाल सकता है।
नियम पालन की अहमियत
यह घटना खिलाड़ियों के लिए एक सबक है कि खेल जगत में नियमों का पालन कितना आवश्यक है। डोपिंग रोधी एजेंसियों के सख्त नियमों का पालन हर खिलाड़ी की जिम्मेदारी है। इस मामले ने खेल प्रशासन और खिलाड़ियों के बीच अनुशासन और जिम्मेदारी के महत्व को एक बार फिर उजागर कर दिया है।
बजरंग के ऊपर लगे इस प्रतिबंध ने उनके प्रशंसकों और खेल जगत को हैरान कर दिया है। अब यह देखना होगा कि वह इस फैसले के खिलाफ अपील करते हैं या इसे स्वीकार कर अपने करियर पर विराम लगाते हैं।