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December 12, 2024 9:50 pm

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योगी जी ये क्या हो रहा है…कभी कुंआरियों को गर्भवती बना दिया, तो अब, दो हजार छात्रों को बना दिया छात्रा? 

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के आगरा स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें परीक्षा के दौरान बड़े पैमाने पर धांधली का खुलासा हुआ है। यूनिवर्सिटी के अंतर्गत तीन प्राइवेट कॉलेजों में करीब दो हजार पुरुष छात्रों को महिला छात्रों के तौर पर रजिस्टर कर परीक्षा में शामिल कराया गया।

इन कॉलेजों में मथुरा का गुलकंदी लालाराम यूनिवर्सिटी, मैनपुरी का एसबीडी कॉलेज ऑफ साइंस एंड एजुकेशन और मेजर अंगद सिंह यूनिवर्सिटी शामिल हैं। ये तीनों कॉलेज “सेल्फ सेंटर” के रूप में डिजाइन किए गए हैं, यानी कॉलेज अपने स्टाफ को ही परीक्षा पर्यवेक्षक नियुक्त कर सकते हैं।

कैसे हुआ घोटाले का पर्दाफाश?

मामला तब उजागर हुआ जब परीक्षा के पहले, दूसरे और तीसरे शिफ्ट के दौरान छात्रों की संख्या में बड़े पैमाने पर अंतर देखा गया। यूनिवर्सिटी के एनरोलमेंट डेटा से यह स्पष्ट हुआ कि इन परीक्षा केंद्रों पर कुल पंजीकृत महिला छात्रों की संख्या के मुकाबले परीक्षा देने वाले छात्र अधिक थे।

जांच के दौरान पता चला कि इन सेंटरों पर महिला छात्रों के नाम पर रजिस्टर किए गए छात्रों में से अधिकतर पुरुष थे। परीक्षा केंद्र पर उपस्थित छात्रों की तुलना पंजीकृत डेटा से करने पर यह घोटाला खुलकर सामने आया।

मार्कशीट में गड़बड़ी का हुआ इस्तेमाल

इस घोटाले में शामिल कॉलेज प्रशासन ने मार्कशीट में मौजूद खामियों का भरपूर फायदा उठाया। मार्कशीट में छात्रों की फोटो और पिता का नाम तो सही दर्ज था, लेकिन लिंग का उल्लेख नहीं था। इस कमी का लाभ उठाते हुए पुरुष छात्रों को महिला छात्रों के नाम पर रजिस्टर कर दिया गया।

जब परीक्षा एजेंसी ने इन सेंटरों के रिकॉर्ड की जांच की, तो यह पाया गया कि अधिकतर छात्रों को महिला के रूप में चिह्नित किया गया था, जबकि परीक्षा केंद्र पर पुरुष छात्रों की संख्या अधिक थी।

तीन सेंटर रद्द, जांच जारी

यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए इन तीनों परीक्षा केंद्रों को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। इन सेंटरों पर सभी परीक्षाओं को भी रोक दिया गया है। यूनिवर्सिटी ने जांच के आदेश देते हुए कहा है कि दोषी कॉलेजों और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

यह घटना शिक्षा क्षेत्र में ईमानदारी और पारदर्शिता पर सवाल खड़े करती है। इस घोटाले ने यह भी दिखाया कि कैसे प्रशासनिक खामियों का लाभ उठाकर बड़े पैमाने पर अनियमितताएं की जा सकती हैं। अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि जांच में और क्या तथ्य सामने आते हैं और दोषियों को किस प्रकार दंडित किया जाएगा।

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