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23 February 2025 4:35 am

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स्कूल बना शराब पार्टी का अड्डा, नगर पंचायत अध्यक्ष और शिक्षकों की करतूत से शिक्षा व्यवस्था शर्मसार

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संजय कुमार वर्मा के साथ चंद्रप्रताप की रिपोर्ट

देवरिया जिले के हेतिमपुर नगर पंचायत स्थित एक सरकारी कंपोजिट विद्यालय में अनुशासन और शिक्षा की धज्जियां उड़ाने वाला मामला सामने आया है। स्कूल परिसर को शिक्षकों और नगर पंचायत अध्यक्ष ने रात में शराब और मांस पार्टी का अड्डा बना दिया है। इस घटना के फोटो और वीडियो वायरल होने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है।

विद्यालय में शराब और मटन पार्टी

वायरल हुई तस्वीरों और वीडियो में स्पष्ट देखा जा सकता है कि विद्यालय परिसर में शराब की बोतलें, मटन की पार्टी और नगर पंचायत हेतिमपुर के अध्यक्ष वीरेंद्र यादव शिक्षकों के साथ मस्ती करते नजर आ रहे हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि जिस स्कूल में करीब 360 छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण करते हैं, वहां छुट्टी के बाद इस तरह की गतिविधियां आम हो गई हैं। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि यह सिलसिला लंबे समय से चल रहा है, लेकिन इसे रोकने वाला कोई नहीं है।

मिड-डे मील के बर्तनों में मटन पकाया जा रहा

वायरल तस्वीरों में देखा गया कि मिड-डे मील के लिए उपयोग किए जाने वाले बर्तनों में मटन पकाया जा रहा है। साथ ही प्रधानाध्यापिका का कार्यालय, जो स्कूल के प्रशासनिक कामकाज के लिए है, उसे भी पार्टी स्थल बना दिया गया है।

चाबी मांगने पर प्रधानाध्यापिका ने दी थी अनुमति

मामले में जब प्रधानाध्यापिका से सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि नगर पंचायत अध्यक्ष ने किसी काम के लिए स्कूल की चाबी मांगी थी, इसलिए उन्हें दे दी गई थी। लेकिन इसके बाद स्कूल में इस तरह की गतिविधियां होने लगीं।

अधिकारियों ने दिया जांच का आश्वासन

घटना पर जिले के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) प्रत्युष पांडेय ने कहा कि मामला उनके संज्ञान में आया है और इसे लेकर जांच के लिए टीम गठित की जा रही है। जांच पूरी होने के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

स्थानीय लोगों में आक्रोश

इस घटना को लेकर स्थानीय लोग बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले स्कूल को नगर पंचायत अध्यक्ष और शिक्षकों ने अपनी मौज-मस्ती का अड्डा बना लिया है। बार-बार शिकायत करने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही।

यह मामला शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा करता है। यदि जल्द ही इस पर सख्त कदम नहीं उठाए गए तो यह प्रवृत्ति अन्य जगहों पर भी फैल सकती है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस पर क्या कार्रवाई करता है और शिक्षा की गरिमा को कैसे बहाल करता है।

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