सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट
देवरिया। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार भले ही प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर सख्ती बरतने का दावा करती हो, लेकिन मुख्यमंत्री के गृह जिले गोरखपुर के पड़ोस में स्थित देवरिया में एक महीने के भीतर तीन हत्याओं ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। खासकर जब तीनों ही मारे गए लोगों का संबंध एक ही जाति से होने के कारण जिले में जातीय तनाव भी गहराता जा रहा है। इन हत्याओं के बाद जिले में सियासी माहौल गरमा गया है, और सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर बहस तेज हो गई है।
हत्याओं की कड़ी: शुभम सिंह उर्फ नेहाल सिंह की हत्या
पहली घटना 7 नवंबर को छठ पर्व के दिन हुई, जब देवरिया के मदनपुर थाना क्षेत्र के बरांव गांव के निवासी शुभम सिंह उर्फ नेहाल सिंह की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी। यह घटना सुरौली थाना क्षेत्र के जद्दू परसिया गांव में हुई। नेहाल सिंह करणी सेना के सक्रिय सदस्य थे, इसलिए उनकी हत्या के बाद करणी सेना ने देवरिया में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया। इस विरोध के चलते स्थानीय विधायक शलभ मणि त्रिपाठी को हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने पुलिस अधिकारियों से मामले की त्वरित जांच कर दोषियों को पकड़ने की अपील की।
करणी सेना के प्रदर्शन के बीच विशाल सिंह की हत्या
नेहाल सिंह की हत्या को लेकर करणी सेना के प्रदर्शन के दौरान विशाल सिंह ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। सोशल मीडिया पर भी वह लगातार नेहाल सिंह हत्याकांड को लेकर पोस्ट कर रहे थे। पुलिस ने इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों के आधार पर इस हत्याकांड में शामिल आरोपियों की पहचान की और उनकी गिरफ्तारी के लिए जगह-जगह दबिश दी।
बीते मंगलवार को कोइलगढ़हा ठाकुर देवा पुल के पास एक मुठभेड़ में पुलिस ने तीन आरोपियों—आलोक राजभर, बृजेश गोस्वामी और अमन गिरी को गिरफ्तार किया।
हालांकि, इन गिरफ्तारियों के कुछ ही दिन बाद विशाल सिंह की भी हत्या कर दी गई। शनिवार की रात विशाल सिंह, जो बीकॉम का छात्र था, को किसी ने फोन कर बाहर बुलाया। जब वह देर रात तक घर नहीं लौटे तो उनके परिवार ने खोजबीन शुरू की। कुछ देर बाद विशाल को घायल अवस्था में सड़क पर पाया गया। अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। विशाल सिंह की हत्या ने देवरिया के लोगों को झकझोर कर रख दिया है।
जातीय तनाव और सियासत का तड़का
इन हत्याओं से देवरिया में जातीय तनाव बढ़ गया है, क्योंकि तीनों मृतकों का संबंध क्षत्रिय समुदाय से था। इससे पहले दीपावली की रात ग्राम प्रधान अजीत सिंह की हत्या भी इसी समुदाय से जुड़े होने के चलते चर्चा में रही। बताया जा रहा है कि अजीत सिंह की हत्या जुए के विवाद में हुई थी। अजीत सिंह का नाम यूपी और बिहार में शराब तस्करी के मामलों से भी जुड़ा था और उनके खिलाफ कई केस दर्ज थे। उनकी हत्या के बाद भी करणी सेना ने प्रशासन पर दबाव बनाया था।
विशाल सिंह की हत्या के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर ‘#क्षत्रिय_नरसंहार_देवरिया’ ट्रेंड करने लगा। लोग आरोप लगा रहे हैं कि जिले में एक महीने के भीतर क्षत्रिय समुदाय के तीन लोगों की हत्या हो चुकी है। इस ट्रेंड के जरिए देवरिया के विधायक शलभ मणि त्रिपाठी और सांसद शशांक मणि त्रिपाठी को भी जातिगत आधार पर निशाना बनाया जा रहा है।
कानून व्यवस्था पर उठते सवाल
इन तीनों हत्याओं के बावजूद, पुलिस का दावा है कि ये वारदातें आपस में जुड़ी हुई नहीं हैं। विशाल सिंह के परिवार ने भी इस बात से इनकार किया है कि उनकी हत्या का संबंध नेहाल सिंह हत्याकांड से है। हालांकि, इस पूरे मामले ने योगी आदित्यनाथ सरकार के दावों पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया है। अगर प्रदेश में कानून व्यवस्था इतनी सख्त है कि अपराधी राज्य छोड़कर भागने पर मजबूर हो रहे हैं, तो फिर हत्या की इन घटनाओं को क्या समझा जाए?
विशेषज्ञों का कहना है कि गोरखपुर से सटे देवरिया जिले में कानून व्यवस्था की स्थिति पर ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह जिला होने के बावजूद यहां अपराध की बढ़ती घटनाएं चिंताजनक हैं। इन हत्याओं ने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर एक बार फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे यह संकेत मिल रहा है कि राज्य में अपराधी अब भी बेखौफ हैं।