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18 January 2025 9:10 am

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पाकिस्तानी महिला 9 साल से कैसे कर रही थी सरकारी टीचर की नौकरी, निकले सारे फर्जी प्रमाण पत्र

17 पाठकों ने अब तक पढा

ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में सरकारी स्कूल में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत एक महिला शिक्षिका के खिलाफ चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।

शुमायला खान नाम की इस शिक्षिका ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर न सिर्फ भारतीय नागरिक होने का दावा किया, बल्कि इसी धोखाधड़ी की मदद से वर्ष 2015 में सरकारी नौकरी भी हासिल कर ली।

मामले का पर्दाफाश तब हुआ जब प्रशासन को एक शिकायत मिली, जिसके बाद शुमायला के निवास प्रमाण पत्र और अन्य दस्तावेजों की जाँच की गई। जाँच में सामने आया कि शुमायला असल में पाकिस्तान की नागरिक हैं। तहसीलदार की रिपोर्ट ने इस बात की पुष्टि की, जिसके बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) ने 3 अक्तूबर 2024 को शुमायला को निलंबित कर दिया और नियुक्ति की तिथि से ही उनकी सेवा समाप्त करने का आदेश जारी कर दिया।

फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर पाई थी सरकारी नौकरी

रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुमायला ने रामपुर के एसडीएम कार्यालय से फर्जी तरीके से निवास प्रमाण पत्र बनवाया था। लेकिन जब तहसीलदार की जाँच हुई, तो पता चला कि इस प्रमाण पत्र में दर्ज जानकारी गलत तथ्यों पर आधारित थी। इस खुलासे के बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने शुमायला को तत्काल प्रभाव से हटा दिया और उनके खिलाफ पुलिस में धोखाधड़ी और दस्तावेजों की हेराफेरी का मामला दर्ज कराया।

शुमायला को फतेहगंज पश्चिमी के प्राथमिक विद्यालय माधौपुर में सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त किया गया था। जाँच में यह भी पता चला कि शुमायला के माता-पिता भी पाकिस्तानी नागरिक थे, लेकिन उन्होंने यह बात निवास प्रमाण पत्र बनवाते समय छिपा ली।

माँ भी कर चुकी थी ऐसा ही फर्जीवाड़ा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुमायला की माँ माहिरा अख्तर भी इसी तरह का फर्जीवाड़ा कर चुकी थीं। माहिरा अख्तर को साल 2021 में बर्खास्त कर दिया गया था, जब वह अपनी रिटायरमेंट से केवल दो दिन दूर थीं। वह 11 मार्च 2021 को रिटायर होने वाली थीं, लेकिन 9 मार्च 2021 को प्रशासन ने उन्हें नौकरी से हटा दिया।

माहिरा अख्तर ने भी खुद को भारतीय नागरिक बताया था, लेकिन जाँच में वह पाकिस्तान की नागरिक निकलीं। उनका मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक पहुँच चुका है और हाईकोर्ट में लंबित है।

शिक्षा विभाग और प्रशासन की लापरवाही उजागर

इस मामले ने शिक्षा विभाग और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना सरकारी तंत्र में व्याप्त खामियों को उजागर करती है और दिखाती है कि कैसे संगठित तरीके से सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग किया जाता है।

फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी नौकरी पाना न केवल प्रशासन की कमजोरी को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि सत्यापन प्रक्रिया में कितनी खामियां हैं। यदि यह शिकायत न आई होती, तो शुमायला खान शायद आगे भी सरकारी वेतन लेती रहतीं।

अब होगी कड़ी कानूनी कार्रवाई

शुमायला खान के खिलाफ धोखाधड़ी और दस्तावेजों की हेराफेरी के तहत मामला दर्ज किया गया है। फतेहगंज पश्चिमी के खंड शिक्षा अधिकारी भानु शंकर ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के निर्देश पर फतेहगंज पश्चिमी थाने में शुमायला के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई।

अब पुलिस उनकी गिरफ्तारी की तैयारी कर रही है। इस घटना के बाद, प्रशासन ने नियुक्तियों की जाँच प्रक्रिया को और सख्त बनाने का निर्णय लिया है।

निष्कर्ष: सरकारी दस्तावेजों के सत्यापन में सुधार की जरूरत

यह घटना सरकारी सिस्टम में मौजूद खामियों को उजागर करती है और यह साबित करती है कि सरकारी दस्तावेजों की सत्यापन प्रक्रिया को अधिक मजबूत बनाने की जरूरत है। प्रशासन की थोड़ी सी लापरवाही के चलते फर्जीवाड़ा करने वाले लोग सालों तक सरकारी वेतन उठाते रहते हैं।

अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाता है, ताकि भविष्य में ऐसे फर्जीवाड़े न हो सकें।

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