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December 4, 2024 12:18 pm

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एक और वीरांगना : मेडिकल कॉलेज की नर्स ने नवजातों की जान बचाने के लिए इज्जत छुपाने से पहले फर्ज पूरा किया

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चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

झांसी, वीरांगना महारानी लक्ष्मीबाई की धरती झांसी ने हमेशा साहस, शौर्य, और समर्पण की मिसालें पेश की हैं। इसी शहर में एक और वीरांगना का जज़्बा देखने को मिला, जब मेडिकल कॉलेज के नवजात गहन चिकित्सा कक्ष में अचानक आग लग गई। इस आपदा के समय, वहां तैनात नर्स मेघा जेम्स ने अपनी जान की परवाह न करते हुए दो मासूम बच्चों को बचाया, वह भी उस हालत में जब उनकी खुद की सलवार में आग लग चुकी थी।

साहस की नई परिभाषा: नर्स मेघा जेम्स का बलिदान

घटना शुक्रवार की रात की है। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात गहन चिकित्सा कक्ष में अचानक आग भड़क उठी। वहां मौजूद नर्स मेघा जेम्स, जो उस समय अपनी ड्यूटी पर थीं, ने बिना किसी देरी के बच्चों की जान बचाने का निर्णय लिया। जैसे ही आग फैलने लगी, उनकी सिंथेटिक सलवार में भी आग लग गई, लेकिन इस साहसी नर्स ने हार नहीं मानी।

अपनी इज्जत से ऊपर रखा फर्ज

मेघा जेम्स की सलवार में आग लगने के बावजूद, उन्होंने एक पल भी सोचा नहीं। तुरंत अपनी सलवार उतार फेंकी और बिना किसी झिझक के नवजात बच्चों की जान बचाने के लिए दौड़ पड़ीं। इस दौरान उन्होंने दो बच्चों को सुरक्षित बाहर निकालने में सफलता पाई। इसके बाद उन्होंने अपने दूसरे कपड़े पहने और दोबारा आग में कूदकर दो-तीन और बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला।

झुलसी हालत में भी बच्चों को बचाने का जुनून

मेघा जेम्स खुद इस हादसे में बुरी तरह झुलस गईं। उन्हें तुरंत हॉस्पिटल के बर्न वार्ड में भर्ती कराया गया, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। मेघा को शुगर की बीमारी भी है, जो इस कठिन परिस्थिति में उनके लिए और भी चुनौतीपूर्ण हो गया। जानकारी के मुताबिक, हाल ही में उनके बेटे का जन्मदिन था, लेकिन उनकी सेहत की बिगड़ती हालत की वजह से उन्हें अस्पताल में ही रहना पड़ा।

साहसिक कार्य की हो रही है सराहना

मेघा जेम्स के इस साहसिक और मानवीय कार्य की चारों ओर जमकर प्रशंसा हो रही है। एक तरफ उन्होंने अपनी इज्जत और जान की परवाह किए बिना कर्तव्य निभाया, तो दूसरी ओर वह एक मां की ममता का भी उदाहरण पेश कर गईं। स्थानीय लोगों और मेडिकल स्टाफ ने उनकी इस वीरता को झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की वीरता से जोड़ते हुए उन्हें आधुनिक समय की “वीरांगना” करार दिया है।

इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि झांसी की धरती पर आज भी वीरांगनाओं की कोई कमी नहीं है। जिस प्रकार महारानी लक्ष्मीबाई ने अपने पुत्र को पीठ पर बांधकर अंग्रेजों से युद्ध किया था, उसी प्रकार नर्स मेघा जेम्स ने नवजात बच्चों की जान बचाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी।

उनके इस साहसिक प्रयास ने न केवल मेडिकल क्षेत्र में काम करने वाले लोगों के लिए एक प्रेरणा का काम किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि मानवीय मूल्यों की रक्षा के लिए एक सच्चे योद्धा की तरह खड़ा होना क्या होता है। झांसी की इस नई वीरांगना को हमारा सलाम।

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