दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में रबी फसलों की बुआई के समय खाद की भारी कमी ने किसानों की परेशानियों को और बढ़ा दिया है। खेतों में फसल उगाने के लिए आवश्यक खाद के अभाव में किसान रात-रात भर लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) खाद की मांग बहुत अधिक है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
स्टॉक से ज्यादा मांग, डीएपी के लिए मची मारामारी
कई जगहों पर खाद की कमी के चलते किसानों को प्रखंड से लेकर जिला कार्यालयों तक चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। इस कारण किसानों को लंबी लाइनों में खड़ा होना पड़ता है। मांग अधिक होने के कारण डीएपी के लिए मारामारी की स्थिति बन गई है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में खाद की कालाबाजारी को रोकने के लिए सरकार ने खेतों के आधार पर खाद वितरण का ऐलान किया है, जिससे किसानों के साथ-साथ उनके परिवार के लोग भी खाद पाने के लिए लाइन में खड़े हो रहे हैं।
अखिलेश यादव का सरकार पर हमला, नोटबंदी की याद दिलाई
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खाद की कमी और किसानों की परेशानी को लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने इसे 8 साल पहले हुई नोटबंदी से जोड़ते हुए कहा कि किसानों की ये लंबी लाइनें नोटबंदी की याद दिलाती हैं। अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें बड़ी संख्या में किसान और उनके परिवार वाले खाद के लिए लाइन में बैठे हुए दिखाई दे रहे हैं।
“अब तो बोरी ही चोरी हो गई”: अखिलेश का तंज
अखिलेश यादव ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, “पहले तो भाजपा केवल बोरी में चोरी करती थी, अब तो पूरी बोरी ही चोरी हो गई है।” उन्होंने एक नारा भी दिया, “बिक रही है ‘खाद’ ऊंचे दाम में, भ्रष्ट भाजपाइयों के गोदाम में।” उनका यह बयान राज्य में खाद की कमी और किसानों की दुर्दशा पर भाजपा सरकार को घेरने का प्रयास है।
नोटबंदी की लाइन से तुलना
अखिलेश ने 8 नवंबर 2016 की नोटबंदी को याद दिलाते हुए कहा कि उस समय भी देश की जनता, खासकर ग्रामीण और गरीब लोग, बैंकों के बाहर लंबी-लंबी लाइन लगाकर खड़े होते थे। अब वही स्थिति किसानों के लिए खाद की लाइन में देखी जा रही है।
खाद की कमी को लेकर सरकार का प्रयास
खाद की कमी से निपटने के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में सरकार ने घोषणा की है कि किसानों को उनके खेत के आकार के हिसाब से ही खाद दी जाएगी, ताकि कालाबाजारी को रोका जा सके। इसके बावजूद किसानों की परेशानी कम होती नजर नहीं आ रही है।
राजनीति गरमाई
इस मुद्दे को लेकर राज्य की राजनीति भी गर्मा गई है। विपक्ष ने इसे किसानों के प्रति सरकार की विफलता करार देते हुए उनकी समस्याओं पर ध्यान देने की मांग की है। किसानों की ये मुश्किलें अब राजनीतिक बहस का केंद्र बन गई हैं, और आने वाले चुनावों में इस मुद्दे के तूल पकड़ने की संभावना है।
उत्तर प्रदेश में खाद की कमी और इसके कारण किसानों की बढ़ती समस्याओं ने एक बार फिर से राज्य सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। देखना यह है कि इस स्थिति को सुधारने के लिए सरकार किस प्रकार के ठोस कदम उठाती है।