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December 12, 2024 6:50 am

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तुम नफरत का योग लिखो, हम तरक्की का संयोग लिखेंगे ; सियासी पोस्टरबाजी का जारी है सिलसिला

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कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश की सियासत में इन दिनों पोस्टर वार ने जोर पकड़ लिया है। यह लड़ाई उस समय शुरू हुई जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान ‘बटेंगे तो कटेंगे’ ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी। इसके जवाब में समाजवादी पार्टी (सपा) ने अपने पोस्टरों के जरिए भाजपा पर पलटवार किया है।

सपा कार्यालय के बाहर पोस्टर

शनिवार को लखनऊ स्थित सपा मुख्यालय के बाहर एक नया पोस्टर लगाया गया, जिसमें मुख्यमंत्री योगी के बयान का जवाब देते हुए लिखा गया, ‘तुम बटने-कटने का राग लिखो, हम तारीख का हिसाब लिखेंगे।’ यह पोस्टर सपा नेता मोहम्मद इखलाक द्वारा लगवाया गया है। इसके स्लोगन में सरकार पर निशाना साधते हुए कहा गया है, ‘तुम नफरत का योग लिखो, हम तरक्की का संयोग लिखेंगे। तुम जमीन पर जुल्म लिखो, हम आसमान में पीडीए (प्रोग्रेसिव डेमोक्रेटिक अलायंस) का इंकलाब लिखेंगे।’

पोस्टर में महंगाई और कानून व्यवस्था पर भी तीखे कटाक्ष किए गए हैं। इसके साथ ही इसमें सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, शिवपाल यादव और आदित्य यादव की तस्वीरें भी दर्शाई गई हैं।

मुख्यमंत्री आवास के पास पोस्टर वार

सिर्फ सपा कार्यालय तक ही नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री आवास के चौराहे पर भी पोस्टरों की जंग देखी गई। यहां सपा की ओर से एक पोस्टर लगाया गया जिसमें लिखा है, ‘जुड़ेंगे तो बढ़ेंगे।’ इस पोस्टर को सपा नेताओं मृत्युञ्जय यादव बिट्टू और आशुतोष गुप्ता द्वारा लगवाया गया है।

इसके ठीक बगल में भाजपा नेता अभय सिंह की तरफ से ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ वाला पोस्टर लगा हुआ है, जिसमें भाजपा की विचारधारा को उजागर करने का प्रयास किया गया है।

वाराणसी में सपा का अनोखा पोस्टर

इससे पहले शुक्रवार को वाराणसी में सपा की तरफ से एक खास पोस्टर लगाया गया, जिसमें अखिलेश यादव को भगवान श्रीकृष्ण और राहुल गांधी को अर्जुन के रूप में दर्शाया गया। इस पोस्टर पर ‘संकल्प 2024, लक्ष्य 2027’ का नारा दिया गया है।

वहीं गोरखपुर में भी भाजपा के पोस्टर ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का जवाब सपा ने ‘जुड़ेंगे तो बढ़ेंगे’ के पोस्टर से दिया।

उपचुनाव की सियासी सरगर्मी

यह पोस्टर वार ऐसे समय में हो रही है जब उत्तर प्रदेश में नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तैयारी चल रही है। इन उपचुनावों के लिए 20 नवंबर को मतदान और 23 नवंबर को नतीजों की घोषणा की जाएगी। इसे 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव की बिसात के तौर पर देखा जा रहा है।

विश्लेषकों का मानना है कि इस पोस्टर वॉर के जरिए दोनों दल अपने-अपने समर्थकों को साधने की कोशिश कर रहे हैं। यह सियासी घमासान यह संकेत देता है कि आने वाले चुनावी दौर में राजनीतिक पार्टियों के बीच तनातनी और बढ़ने वाली है।

उत्तर प्रदेश में सियासी जंग पोस्टरों तक सीमित नहीं रहने वाली, बल्कि इससे आगामी चुनावी रणनीतियों की झलक भी मिल रही है। चाहे वह योगी आदित्यनाथ का विवादित बयान हो या अखिलेश यादव का जोशीला पलटवार, सियासत की इस जंग में जनता का ध्यान खींचने की पूरी कोशिश की जा रही है।

उपचुनाव की आहट से लेकर 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी तक, यह पोस्टर वार निश्चित रूप से प्रदेश की राजनीति में नई धार पैदा कर रही है।

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