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November 22, 2024 3:47 am

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कल्याण कला मंच की साहित्यिक कवि-गीत गोष्ठी का आयोजन

64 पाठकों ने अब तक पढा

सुरेंद्र मिन्हास की रिपोर्ट

बिलासपुर, हिमाचल। कल्याण कला मंच, बिलासपुर और सरस्वती विद्या मंदिर उच्च विद्यालय, कंदरौर के संयुक्त तत्वावधान में एक भव्य साहित्यिक कवि-गीत गोष्ठी का आयोजन बीते शुक्रवार को झूरंग पहाड़ी की तराई में स्थित विद्यालय परिसर में किया गया। इस साहित्यिक आयोजन का समय सुबह 11 बजे से दोपहर 2 बजे तक रखा गया, जिसमें साहित्य के विविध रंगों की मनमोहक छटा बिखरी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध साहित्यकार और पत्रकार सुरेंद्र मिन्हास ने की। इस गोष्ठी में विशिष्ट अतिथि के रूप में कैप्टन जिंदू राम, रविंदर सिंह, सुख राम आजाद, सुशील पुंडीर, और रविंदर ठाकुर उपस्थित थे। कार्यक्रम का मंच संचालन तृप्ता कौर मुसाफिर ने बेहद कुशलतापूर्वक किया।

काव्य और गीतों से सजी प्रस्तुतियाँ

गोष्ठी की शुरुआत खुशी कनिका और सुनिधि द्वारा स्वागत गीत से हुई, जिसके बाद प्रियंका ने ‘अगर पेड़ भी चलते होते’ कविता प्रस्तुत की। इसके बाद जिले की विख्यात गायिका चिंता देवी ने ‘भगवान का नाम कभी भुलाना ना चाहिए’ गीत से समां बांधा।

वैष्णवी ने ‘ओ बरखा तेरी जै होवे’ और आराध्या ने ‘अ से अनार, आ से आम’ कविता प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। वरिष्ठ कवि राम पाल डोगरा ने ‘1962 में मनाई थी काली दिवाली’ और कर्मवीर कंडेरा ने ‘ये मेरा बस्ता नहीं है सस्ता’ कविता के माध्यम से गहरे सामाजिक संदेश दिए।

सीता देवी जसवाल की कविता ‘ना आएगा लौट कर ये बचपन’ और नीलम की भक्ति भावना से ओतप्रोत ‘अहं नमामि मातरं, गुरु नमामि सादरं’ ने सभी को भावविभोर कर दिया। दीक्षा ने ‘ए मेरे प्यारे वतन’ गीत गाकर देशभक्ति की भावना जगाई, जबकि सेवनिवृत्त शिक्षक सुख राम आजाद ने ‘ना रहे से घर बार तीज त्यहार’ कविता से पुरानी परंपराओं की झलक प्रस्तुत की।

समाज और संस्कृति से जुड़ी रचनाएँ

बीना वर्धन ने हास्य रस में डूबी ‘ना कद्दू खाना, ना घिया खाना’ कविता सुनाई, वहीं रविंदर शर्मा ने ‘रोटी, कपड़ा और मकान’ पर एक व्यंग्य रचना प्रस्तुत की।

वैष्णवी और शिवांगी की जोड़ी ने ‘चल्ल मेरी जिन्दे नवीं दुनिया बसाणी’ और शिक्षक राज कुमार कौंडल ने ‘इक दिन कक्षा में गुरुजी समझा रहे थे’ कविता के माध्यम से वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर तीखा कटाक्ष किया।

इसके अलावा, रक्षित, गौरी, और गौरव ने ‘चंदन है इस देश की माटी’, सिद्धार्थ, वंश, और अंशुल ने ‘शिवो अहम, शिवो अहम’ और पलक, वैष्णवी, इशिता, शिवांगी ने ‘कालिदास है जने जने’ जैसी प्रस्तुतियों से कार्यक्रम को ऊंचाई पर पहुंचाया।

मोहित मान और कृष्णा मान ने ‘अपनी भारत माँ को हम शक्तिशाली बनाएँगे’ से नई पीढ़ी को जागरूक करने का संदेश दिया।

कार्यक्रम की संचालिका तृप्ता कौर मुसाफिर ने अपनी कविता ‘किती चलिरी मुइये किती जाणा किती आ तेरा ठौर ठिकाणा’ से सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया। रविंदर ठाकुर ने ‘आज क्यों व्यथित है मन तेरा ऐ ठोकर’ कविता में जीवन के विविध पहलुओं को उकेरा।

अध्यक्षीय सम्बोधन और धन्यवाद ज्ञापन

कार्यक्रम के अंत में, अध्यक्ष सुरेंद्र मिन्हास ने सभी प्रतिभागियों की प्रस्तुतियों की सराहना करते हुए अपनी रचना ‘सारे खेलणूं मुकाए इन्हें मुबैलें, अपणे मेल-मलाप चटकाए इन्हें मबैलें’ सुनाई, जिसने मोबाइल फोन की लत और सामाजिक संबंधों पर प्रभाव को दर्शाया।

अंततः, मंच की कोषाध्यक्ष बीना वर्धन ने उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों, कवियों, और श्रोताओं का आभार व्यक्त किया और इस गोष्ठी को सफल बनाने के लिए धन्यवाद दिया।

यह साहित्यिक आयोजन सभी के लिए एक यादगार अनुभव बन गया, जिसमें साहित्य प्रेमियों को विभिन्न रंगों और रसों से भरपूर कविताएँ और गीत सुनने का अवसर प्राप्त हुआ।

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