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November 21, 2024 11:21 pm

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नौकरी के नाम पर 40 लाख की ठगी: बाल विकास विभाग के चपरासी पर गंभीर आरोप

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कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां बाल विकास पुष्टाहार विभाग के एक चपरासी, कमलेश कुमार, पर सरकारी नौकरी के नाम पर चालीस लाख रुपए की ठगी करने का आरोप लगा है। पीड़ित परिवार ने अपनी जमीन और प्लांट बेचकर इस पैसे की व्यवस्था की, लेकिन अंततः वे बर्बादी के कगार पर आ गए।

घटना की शुरुआत जालौन के ग्राम पंचायत मटरा निवासी विनय कुमार से हुई, जो अपने भविष्य के लिए सरकारी नौकरी की तलाश में थे। पीलीभीत जिले के ब्लॉक ललौनीखेड़ा में कार्यरत चपरासी कमलेश कुमार ने विनय को आश्वासन दिया कि वह चार लोगों के लिए रेलवे में ग्रुप सी की नौकरी दिलवा सकते हैं, लेकिन इसके लिए 40 लाख रुपए की आवश्यकता होगी। परिवार ने इस प्रस्ताव को स्वीकारते हुए भारी दिल से अपनी जमीन और संपत्तियों को बेचकर पैसा जुटाया।

कमलेश कुमार और उसके कुछ सहयोगियों ने फर्जी तौर पर खुद को रेलवे अधिकारी बनाकर, परिवार से 20 लाख रुपए अपने बैंक खातों में ट्रांसफर करवा लिए। उन्होंने विनय कुमार और अन्य युवकों को फर्जी जॉइनिंग लेटर भी जारी कर दिए और एक माह के लिए नौकरी पर भी रखा। लेकिन जब इन बच्चों को पता चला कि यह सब फर्जीवाड़ा है और उन्होंने नौकरी छोड़ने की कोशिश की, तो उन्हें कोलकाता में बंधक बना लिया गया। परिजनों द्वारा 5 लाख रुपए की और फिरौती देने के बाद ही बच्चे वापस अपने घर लौट सके।

इस घटना से उत्तर प्रदेश की मौजूदा योगी सरकार के प्रशासनिक तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। राज्य में भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के दावों के बावजूद ऐसी घटनाओं का होना शासन की निष्क्रियता को दर्शाता है। पीड़ित परिवार लगातार शिकायतें कर रहा है और अपने पैसे वापस पाने की गुहार लगा रहा है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

अब देखने की बात यह है कि क्या प्रशासन इस मामले में कोई कड़ी कार्रवाई करेगा, या फिर भ्रष्टाचार का यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा।

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