जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
मऊ जिले की एक शिक्षिका सीमा ने पुलिस अधीक्षक (एसपी) कार्यालय पहुंचकर अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई। सीमा, जो डर और सहम से भरी हुई थी, ने पुलिस अधीक्षक को बताया कि पिछले डेढ़ साल से उसका दो दिनों का वेतन लंबित है। जब वह अपना वेतन लगवाने के लिए बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) कार्यालय गई, तो वहां के एक बाबू, जितेंद्र सिंह, ने उससे एक दिन के वेतन के लिए 20 हजार रुपये की रिश्वत की मांग की, जिसका कुल योग 40 हजार रुपये था।
शिक्षिका ने बताया कि रिश्वत की इस अवैध मांग को लेकर उसने मुख्यमंत्री, महानिदेशक और जिले के जिलाधिकारी (डीएम) से भी शिकायत की थी। शिकायत करने के बाद, बीएसए कार्यालय के बाबू ने उसे धमकियां देना शुरू कर दिया और शिकायत वापस लेने के लिए दबाव बनाया। सीमा ने बताया कि उसने इन धमकियों के बावजूद शिकायत वापस नहीं ली।
5 नवंबर को उसे बीएसए कार्यालय बुलाया गया। जब वह वहां पहुंची, तो बाबू जितेंद्र सिंह ने वेतन बहाली के कागजात उसे पकड़ाते हुए धमकी दी, “तुमको मैं देख लूंगा, तुम्हारा निलंबन तो मैं करा के रहूंगा और तुम्हें दूरदराज के ब्लॉक में भेज कर दिखाऊंगा।” इसके साथ ही, उसने जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए जान से मारने की धमकी भी दी।
जितेंद्र सिंह की धमकियां सुनने के बाद सीमा इतनी डर गई कि वह बीएसए के बुलाने के बावजूद दोबारा कार्यालय जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई।