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November 23, 2024 3:15 pm

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एक तरफ अवैध कब्जा पर बुलडोजर और दूसरी ओर भूमाफियाओं के साथ अधिकारियों की ऐसी सांठगांठ… गजब है प्रशासन

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संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

चित्रकूट। जिला मुख्यालय से सटे ग्राम पंचायत लोढवारा में दबंग भू माफियाओं द्वारा सरकारी जमीनों पर कब्जा करने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। आरोप है कि राजस्व कर्मियों, लेखपालों और बड़े अधिकारियों की मिलीभगत से इन माफियाओं ने सड़क, नाले, बंधान, भीटा और बंजर जमीनों पर अवैध कब्जे कर रखे हैं।

इस क्षेत्र में अवैध कब्जे का खेल बड़े पैमाने पर चल रहा है, जिसमें पहले फर्जी दस्तावेज तैयार किए जाते हैं और फिर उनमें हेराफेरी कर पट्टे आवंटित किए जाते हैं। यह कार्य राजस्व नियमों के विपरीत है। विशेषकर, ग्राम पंचायत लोढवारा में कार्यरत लेखपाल अश्विनी पटेल, देशराज पटेल और मुन्ना सिंह पटेल पर आरोप है कि उन्होंने सार्वजनिक जमीनों पर अवैध कब्जा करवाने में सक्रिय भूमिका निभाई है।

कई मामलों में एक ही व्यक्ति को दो-दो बार पट्टा आवंटित किया गया। उदाहरण के लिए, जगमोहन पुत्र कोदू और जगमोहन पुत्र कोदौवा एक ही व्यक्ति हैं, फिर भी दो बार पट्टा आवंटित किया गया। इसी तरह, गजाधर पुत्र परदेशी, जो एक सरकारी अध्यापक थे, को भी पट्टा दिया गया, जो कि नियमों के खिलाफ है।

इसके अलावा, प्रॉपर्टी डीलर भी इन जमीनों पर प्लॉटिंग कर अवैध रूप से निर्माण कार्य कर रहे हैं। लेखपाल चंद्रभान सिंह पटेल पर इन डीलरों के साथ मिलीभगत का आरोप है। गाटा संख्या 1596 पर अवैध निर्माण कार्य चल रहा है, वहीं गाटा संख्या 1372 पर शासन के नियमों की अनदेखी करते हुए चार मंजिला मकान का निर्माण किया जा रहा है।

सूत्रों के अनुसार, प्रॉपर्टी डीलर विनय पटेल और सत्येंद्र वर्मा इन अवैध पट्टों पर प्लॉटिंग कर जमीन बेचने का काम कर रहे हैं। इनकी सहायता से ग्राम सभा लोढवारा की नाले की जमीन पर भी कब्जा कर लिया गया है और पेट्रोल पंप का निर्माण किया गया है।

सरकार भले ही सरकारी जमीनों को कब्जामुक्त करने के दावे कर रही है, परंतु जमीनी हकीकत इससे अलग है। तहसील और जिला प्रशासन की निष्क्रियता के चलते यह भू माफिया अपनी मनमानी पर उतारू हैं।

यह सवाल अब उठ रहा है कि क्या जिला प्रशासन इन अवैध पट्टों और राजस्व कर्मियों की मिलीभगत की जांच कर इन मामलों में सख्त कार्रवाई करेगा, या फिर माफियाओं का यह कब्जे का खेल यूं ही चलता रहेगा।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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