अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट में हाल ही में एक पति-पत्नी के बीच विवाद से जुड़ा मामला सामने आया था, जिसमें पत्नी ने अपने पति पर प्रताड़ित करने और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का आरोप लगाया था। पत्नी का दावा था कि उसका पति उसके साथ जबरदस्ती अप्राकृतिक यौन संबंध बनाता है और उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करता है। इस पर कोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध बनाना असामान्य या क्रूरता का मामला नहीं है, बल्कि वैवाहिक जीवन का हिस्सा है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर पति अपनी पत्नी से यौन संबंध बनाने की मांग नहीं करेगा, तो अपनी शारीरिक इच्छाओं को पूरा करने के लिए वह कहां जाएगा। कोर्ट ने यह बयान तब दिया जब पत्नी द्वारा लगाए गए आरोपों के समर्थन में कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया। अदालत ने पाया कि यह मामला सिर्फ वैवाहिक संबंधों से जुड़ा एक झगड़ा था, जिसमें पत्नी का आरोप था कि संबंध बनाना उसके लिए अप्राकृतिक लगता है, जबकि पति ने इसे सामान्य बताया।
यह मामला 23 जुलाई 2018 को नोएडा में दर्ज किया गया था, जिसमें पत्नी ने पति और उसके परिवार पर दहेज की मांग और प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। महिला ने यह भी आरोप लगाया कि उसका पति शराब का आदी है, अश्लील फिल्में देखता है, और गंदी हरकतें करता है। उसने यह भी दावा किया कि एक बार जब उसने इन हरकतों का विरोध किया तो उसके पति ने उसका गला घोंटने की कोशिश की, लेकिन वह किसी तरह अपनी जान बचाने में सफल रही।
महिला ने अपने पति पर घरेलू हिंसा के आरोप भी लगाए, यह बताते हुए कि जब वह सिंगापुर में अपने पति के साथ गई थी, तब भी उसे प्रताड़ित किया गया। हालांकि, अदालत में सुनवाई के दौरान यह पाया गया कि महिला के आरोप सामान्य और अस्पष्ट थे, और उसके पास कोई ठोस सबूत नहीं था जो यह साबित कर सके कि उसके साथ दहेज के लिए प्रताड़ना की गई थी या उसे शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाया गया था।
आखिरकार, कोर्ट ने कहा कि इस मामले के तथ्यों को देखते हुए इसे दहेज उत्पीड़न या क्रूरता का मामला नहीं कहा जा सकता और इस वजह से एफआईआर को रद्द कर दिया गया।
Author: News Desk
Kamlesh Kumar Chaudhary