चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गुरुवार को बिजली की कीमतों को लेकर बड़ा फैसला लिया। सरकार ने प्रदेश में बिजली की दरें नहीं बढ़ाने का निर्णय लिया है। इस संबंध में विद्युत नियामक आयोग ने आदेश जारी कर दिया है।
इस आदेश के अनुसार, यूपी में इस साल बिजली के रेट नहीं बढ़ाए जाएंगे।
120 दिनों के अंदर घोषित करनी होती हैं नई दरें
दरअसल, पिछले कुछ समय से खबरें सामने आ रही थीं कि उत्तर प्रदेश में बिजली की दरें बढ़ाई जा सकती हैं। इसके बाद से ही उपभोक्ता परिषद में बिजली की दरों को कम करने की मांग उठाई जा रही थी। नियमानुसार, 120 दिनों के अंदर बिजली की दरें घोषित करनी होती हैं। हाल ही में ये अवधि पूरी हुई है। हालांकि पावर कारपोरेशन प्रबंधन खराब वित्तीय स्थिति का हवाला देकर बिजली दरें घटाने के पक्ष में नहीं है।
बिजली दरों में कमी की मांग
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने मौजूदा बिजली दरों में कमी की मांग की है। परिषद का कहना है कि उपभोक्ताओं को वर्तमान में बिजली कंपनियों के पास मौजूद 33,122 करोड़ रुपये के सरप्लस का लाभ मिलना चाहिए। ये मांग नोएडा पावर कंपनी के उपभोक्ताओं के लगभग 1000 करोड़ रुपये के सरप्लस के आधार पर की गई थी। उस दौरान बिजली की दरों में 10 फीसदी कमी की गई थी।
2019 में किया गया था आखिरी बार संशोधन
उत्तर प्रदेश में बिजली की दरों में आखिरी बार 2019 में संशोधन किया गया था। उस वक्त उत्तर प्रदेश विद्युत विनियामक आयोग (यूपीईआरसी) ने 11.69 प्रतिशत की औसत वृद्धि को मंजूरी दी थी।
घरेलू मीटर वाले उपभोक्ताओं के लिए यह बढ़ोतरी 8 प्रतिशत से 12 प्रतिशत के बीच रही। जबकि भारी औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए 5 से 10 प्रतिशत वृद्धि की गई। जबकि कृषि मीटर वाले उपभोक्ताओं के लिए 9 प्रतिशत की वृद्धि की गई।