अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
लखनऊ में बसपा सुप्रीमो और राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा होटलों और ढाबों में मालिक और मैनेजर का नाम-पता लिखने की अनिवार्यता को लेकर सवाल उठाए हैं।
उन्होंने कहा कि यह कदम खाद्य सुरक्षा से अधिक, लोगों का ध्यान भटकाने और चुनावी राजनीति का हिस्सा है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर उन्होंने कहा कि यह आदेश ठीक वैसा ही है जैसा कांवड़ यात्रा के दौरान किए गए थे, जो चुनावी राजनीति के तहत अधिक चर्चा में रहे।
मायावती ने लिखा कि सरकार पहले से ही खाद्य पदार्थों में मिलावट रोकने के लिए सख्त कानून बना चुकी है, लेकिन सरकारी लापरवाही और मिलीभगत के कारण मिलावट का धंधा अभी भी जोरों पर है।
उन्होंने सवाल किया कि क्या दुकानों पर लोगों के नाम जबरन लिखवा लेने से यह काला धंधा बंद हो जाएगा? इसके अलावा उन्होंने तिरुपति मंदिर के लड्डुओं में चर्बी की मिलावट की खबरों का जिक्र किया, जिसने देशभर के लोगों को आक्रोशित किया है।
उन्होंने यह भी पूछा कि इस प्रकार की घृणित घटनाओं के लिए असली जिम्मेदार कौन है, और इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत बताई।
वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खानपान की वस्तुओं में गंदगी और मानव अपशिष्ट की मिलावट को रोकने के लिए कठोर कार्रवाई के आदेश दिए हैं। उन्होंने होटलों, ढाबों और रेस्टोरेंट्स की गहन जांच और सत्यापन कराने के निर्देश दिए हैं, ताकि लोगों की सेहत को खतरे से बचाया जा सके। इसके साथ ही, प्रतिष्ठानों के संचालकों और कर्मचारियों का भी सत्यापन करने का आदेश दिया गया है।
Author: samachar
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