जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
आजमगढ़। भोजपुरी फिल्म स्टार और बीजेपी के पूर्व सांसद दिनेश लाल यादव निरहुआ हाल ही में आजमगढ़ पहुंचे और हरिऔध कला केंद्र में विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय दी।
समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने आजमगढ़ महोत्सव को लेकर टिप्पणी की थी कि समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधियों को डर की वजह से निमंत्रण नहीं दिया गया।
निरहुआ ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें भी कोई औपचारिक निमंत्रण नहीं मिला था। हालांकि, उन्होंने कहा कि अगर आजमगढ़ में कोई अच्छा काम हो रहा है, तो वे उसमें शामिल होने से पीछे नहीं हटेंगे।
उन्होंने बताया कि कार्यक्रम की जानकारी पूर्व डीएम ने दी थी, लेकिन जिला प्रशासन से औपचारिक निमंत्रण नहीं आया था, और वे जौनपुर में अपनी फिल्म की शूटिंग में व्यस्त थे। शूटिंग खत्म होते ही वे महोत्सव में शामिल होने पहुंच गए।
निरहुआ ने आजमगढ़ में हो रहे कार्यों की सराहना की और कहा कि हर साल वहां कुछ अच्छा होता है, जिसका वे स्वागत करते हैं।
दूसरी ओर, महोत्सव में निमंत्रण प्रक्रिया पर सवाल उठे हैं। जिलाधिकारी कार्यालय और सूचना विभाग पर भेदभावपूर्ण नीति अपनाने के आरोप लगे हैं, जिसमें कई गणमान्यजन, साहित्यकार, बुद्धिजीवी और पत्रकारों को निमंत्रण नहीं मिला।
स्थानीय पत्रकारों ने इशारा किया कि जिला सूचना अधिकारी से नजदीकी संबंध रखने वालों को ही सरकारी आयोजनों में प्राथमिकता दी जाती है।
इसके साथ ही भोजपुरी अदाकारा अक्षरा सिंह के कार्यक्रम में भारी हंगामा देखने को मिला। उनकी एक झलक पाने के लिए भीड़ बेकाबू हो गई, जिसके बाद पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। स्थिति बेकाबू हो जाने पर वहां जूते-चप्पल और पानी की बोतलें फेंकी गईं, जिससे कार्यक्रम में अराजकता फैल गई।
इस महोत्सव का मुख्य उद्देश्य विलुप्त हो रही लोक कला और खेलों को पुनर्जीवित करना था। जिलाधिकारी नागेंद्र प्रसाद सिंह ने इस विचार को साकार करने में अहम भूमिका निभाई, और जिले के रंगकर्मी, सामाजिक संगठन और आम लोग इस पहल में शामिल हुए।
युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए एक बड़ा मंच मिला, और जनपदवासियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भरपूर आनंद लिया। तमसा नदी के किनारे ऐतिहासिक जजी मैदान इस आयोजन का मुख्य स्थल बना, जहां विविध आयोजनों का आनंद लोग उठा रहे थे।
इस बीच, मुबारकपुर में सीएए विरोध की कुछ हलचल हुई, लेकिन प्रशासन ने तुरंत स्थिति को संभाल लिया। महोत्सव के दौरान भाईचारे और सौहार्द की भावना को बरकरार रखा गया, जिससे यह आयोजन सफल और यादगार बन गया।
यादगार बनी कुव्यवस्था
आजमगढ़ महोत्सव में प्रशासनिक और आयोजन से जुड़ी कुछ अव्यवस्थाएं भी सामने आईं, जो पूरे कार्यक्रम की गुणवत्ता और सफल आयोजन पर सवाल उठाती हैं।
सबसे पहले, कार्यक्रम के निमंत्रण वितरण में पक्षपात और भेदभाव की बातें उठीं। यह आरोप लगाया गया कि जिलाधिकारी कार्यालय और सूचना विभाग ने बहुत से गणमान्यजन, बुद्धिजीवी, साहित्यकारों और पत्रकारों को निमंत्रण नहीं दिया, जो एक सरकारी आयोजन के लिए अनुचित था। इससे यह सवाल खड़ा हुआ कि क्या सूचना विभाग के अधिकारी केवल उन्हीं लोगों को आमंत्रित कर रहे थे, जो उनके निकट थे या उनके विचारों से सहमति रखते थे।
चर्चा में जूतम पैजार
इसके अलावा, अक्षरा सिंह के कार्यक्रम में भारी भीड़ के चलते अव्यवस्था फैली। उनकी एक झलक पाने के लिए लोग बेकाबू हो गए, जिससे पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। भीड़ को नियंत्रित करने के दौरान स्थिति और बिगड़ गई, और लोग पुलिस से भिड़ गए। इसके परिणामस्वरूप कार्यक्रम में जूते-चप्पल और पानी की बोतलें फेंकी गईं, जो पूरे आयोजन में अराजकता फैलाने का कारण बना।
इन घटनाओं से यह स्पष्ट होता है कि सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण की तैयारी में कमी रही। आयोजकों ने शायद यह अनुमान नहीं लगाया था कि इतनी बड़ी संख्या में लोग एकत्रित हो सकते हैं, और इसलिए समय रहते पर्याप्त व्यवस्थाएं नहीं की गईं। इस प्रकार की अव्यवस्थाएं कार्यक्रम के प्रभाव और जनता की सुरक्षा दोनों पर नकारात्मक असर डालती हैं।
आयोजन से जुड़े कुछ और पहलुओं में प्रशासन की ढिलाई और सूचना अधिकारियों द्वारा विशेष लोगों को प्राथमिकता देने के आरोप भी शामिल हैं, जिससे महोत्सव के उद्देश्य और उसकी निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."