ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
लखीमपुर खीरी। पितृ पक्ष के दौरान जहां लोग अपने दिवंगत परिजनों की आत्मा की शांति के लिए दान-पुण्य कर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, वहीं कुछ शमशान घाटों में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है कि सैकड़ों लोगों की अस्थियां वर्षों से अपने परिजनों का इंतजार कर रही हैं।
शहर के प्रमुख श्मशान घाट, जैसे सेठघाट स्थित मुक्तिधाम, में लगभग 300 से अधिक अस्थि कलश रखे हुए हैं। इनमें से कई अस्थियां कई सालों से यहां पड़ी हैं, लेकिन उन्हें विसर्जित करने के लिए अब तक कोई परिजन वापस नहीं आया है।
अस्थि कलशों की बढ़ती संख्या
मुक्तिधाम के महापात्र अशोक कुमार द्विवेदी के अनुसार, इस समय शमशान घाट के पिंडदान भवन में 300 से अधिक अस्थियां रखी हुई हैं, और अब वहां नए अस्थि कलश रखने की जगह भी नहीं बची है।
उनका कहना है कि इन अस्थियों के परिजन किसी दिन आएंगे और उन्हें गंगा में प्रवाहित कर मोक्ष दिलाएंगे। लेकिन हकीकत यह है कि कई सालों से इन अस्थियों की कोई खोज-खबर लेने भी नहीं आया।
हर महीने सैकड़ों शवों का अंतिम संस्कार
महापात्र द्विवेदी के अनुसार, श्मशान घाट में हर महीने लगभग 100 शवों का अंतिम संस्कार होता है, जिससे साल भर में करीब 1200 शवों का दाह संस्कार हो चुका है।
इनमें से कुछ के परिजन समय पर आकर अस्थियां ले गए, लेकिन बहुत से लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों के विसर्जन की जिम्मेदारी उठाने से मुंह मोड़ लिया है।
अस्थियां बीनने तक के लिए भी कई बार परिजन नहीं आते, जिसके कारण शमशान घाट के महापात्र स्वयं अस्थियों को संग्रह कक्ष में सुरक्षित रखते हैं।
कोरोना काल की अस्थियां
कोरोना महामारी के दौरान बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु हुई, जिनका अंतिम संस्कार श्मशान घाटों में किया गया था। चार साल बीत चुके हैं, लेकिन उनकी अस्थियां अभी भी श्मशान घाट में रखी हुई हैं। कोई परिजन अब तक उन्हें लेने नहीं आया है।
यह महामारी के समय की दिल दहलाने वाली वास्तविकता को दर्शाता है, जब लोग अपने प्रियजनों से बिछड़ गए और बाद में उन्हें विसर्जित करने की जिम्मेदारी से भी दूर हो गए।
महापात्र की पहल
महापात्र अशोक द्विवेदी ने यह भी कहा कि यदि पितृ पक्ष के समाप्त होने तक कोई परिजन अस्थियां लेने नहीं आया तो वे स्वयं 2 अक्टूबर को इन अस्थियों को हरिद्वार ले जाकर गंगा में प्रवाहित करेंगे। उनका यह कदम उन दिवंगत आत्माओं की मुक्ति के लिए है, जिनके अपने उन्हें विसर्जित करने नहीं आ सके।
प्रशासन की जिम्मेदारी
ऐसे मामलों में प्रशासन की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। प्रशासन को शमशान घाटों की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए और उन अस्थियों के विसर्जन की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाना चाहिए जिनके परिजन उन्हें लेने नहीं आए हैं।
इसके अलावा, जनता को इस विषय में जागरूक करना चाहिए कि अस्थियों का समय पर विसर्जन किया जाना कितना महत्वपूर्ण है।
शमशान घाटों पर अस्थियों का संकलन न बढ़े, इसके लिए प्रशासन को विशेष योजनाएं बनानी चाहिए और समय-समय पर पंडितों एवं अन्य धार्मिक संस्थानों के सहयोग से ऐसे अस्थि कलशों का विधिवत विसर्जन किया जाना चाहिए। इससे न केवल शमशान घाटों में जगह की समस्या हल होगी, बल्कि मृतकों की आत्माओं को शांति भी मिलेगी।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."