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December 13, 2024 2:52 am

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हैरान हो जाएंगे आप…27 साल पुराने इस केस की कहानी को पुलिस ने भंडारा लगाकर ऐसे खुलासा किया

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परवेज़ अंसारी की रिपोर्ट

यह कहानी 1997 में दिल्ली के तुगलकाबाद इलाके में हुए एक मर्डर केस की है, जिसमें 27 साल बाद दिल्ली पुलिस को आखिरकार कामयाबी मिली। मामला एक प्रॉपर्टी विवाद से जुड़ा था। किशनलाल नामक व्यक्ति की घर के अंदर हत्या कर दी गई थी। उसकी पत्नी ने पुलिस को बताया कि इस हत्या के पीछे दो लोग, टिल्लू और रामू का हाथ है, जो उनके पड़ोसी थे।

हत्या के तुरंत बाद दोनों आरोपी फरार हो गए। पुलिस ने छानबीन की लेकिन कोई ठोस सुराग नहीं मिल पाया, और केस ठंडे बस्ते में चला गया। 

हालांकि, 2021 में इस मामले को फिर से खोला गया और पुलिस ने नए सिरे से जांच शुरू की। जल्द ही पुलिस को रामू के बारे में सुराग मिला। वो लखनऊ में नाम बदलकर रह रहा था। 

पुलिस ने सादी वर्दी में काम करते हुए रामू को खोज निकाला, लेकिन पहचान की पुष्टि करना चुनौतीपूर्ण था। आखिरकार, मृतक किशनलाल की पत्नी को लखनऊ बुलाया गया, जिन्होंने रामू को पहचान लिया। गिरफ्तारी के बाद रामू ने अपना अपराध कबूल कर लिया, लेकिन टिल्लू अभी भी फरार था।

टिल्लू ने अपना नाम बदलकर रामदास कर लिया था और साधु का वेश धरकर देशभर में अलग-अलग शहरों में छिपता रहा। 

पुलिस को पता चला कि वह मंदिरों और धर्मशालाओं में रहता है और भंडारों में भोजन करता है। टिल्लू को पकड़ने के लिए पुलिस ने उसके ठिकानों का पता लगाना शुरू किया। 

कई बार उसकी लोकेशन ट्रेस की गई, लेकिन वह हर बार पुलिस को चकमा देकर दूसरे शहर भाग जाता। पुलिस को कभी उसकी लोकेशन कन्याकुमारी में मिलती, तो कभी ओडिशा के पुरी में।

आखिरकार, अप्रैल 2024 में पुलिस को खबर मिली कि टिल्लू ऋषिकेश में साधु के रूप में रह रहा है। पुलिस की टीम ने उसे पकड़ने के लिए भंडारे का आयोजन किया। 

पहले दो भंडारों में टिल्लू नहीं आया, लेकिन तीसरे भंडारे में वह भोजन करने आया और वहीं पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

गिरफ्तारी के बाद टिल्लू ने कबूल किया कि प्रॉपर्टी विवाद के चलते उसने किशनलाल की हत्या की थी। बातचीत के दौरान गुस्से में उसने किशनलाल को चाकू मार दिया था। 

27 साल की लंबी तलाश और कई शहरों की दौड़-धूप के बाद दिल्ली पुलिस ने अंततः इस मर्डर केस के आरोपी को पकड़ने में सफलता हासिल की।

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Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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