ब्रजकिशोर सिंह की रिपोर्ट
पाकिस्तान के शेहज़ादपुर जिले की एक हिंदू बेटी ने अपने परिवार, घर और देश को छोड़ दिया, लेकिन सनातन धर्म के प्रति अपनी निष्ठा को कायम रखा। इस अनूठी कहानी ने न केवल स्थानीय समुदाय को बल्कि पूरे देश को प्रभावित किया है।
साक्षात्कार में, 22 वर्षीय नयना शर्मा ने बताया कि उसने धार्मिक स्वतंत्रता की खोज में अपने परिवार और वतन को अलविदा कह दिया। “मेरे लिए सनातन धर्म मेरे अस्तित्व का अभिन्न हिस्सा है,” नयना ने कहा। “मैंने अपने परिवार, घर, और ज़मीन को छोड़ा, लेकिन धर्म को नहीं छोड़ सकती।”
नयना के परिवार ने भी इस निर्णय पर मिश्रित प्रतिक्रिया दी। उनके माता-पिता का कहना है कि वे अपनी बेटी के फैसले से दुखी हैं लेकिन उसकी स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं। “हमने हमेशा उसकी खुशी की कामना की है, चाहे वह हमारे साथ रहे या नहीं,” उनके पिता ने कहा।
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नयना अब भारत में एक धार्मिक आश्रम में निवास कर रही हैं और वहां अपने धार्मिक अध्ययन और सेवा में संलग्न हैं। उनका कहना है कि वह अपने धर्म की गहराई से समझ हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और समाज में इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए काम कर रही हैं।
इस कहानी ने धर्म और पहचान के सवालों को एक बार फिर से उठाया है और यह दर्शाया है कि व्यक्ति अपनी आस्था और विश्वास को लेकर कितनी दूर तक जा सकता है। नयना की यात्रा ने कई लोगों को प्रेरित किया है और उनके साहस और दृढ़ता की सराहना की जा रही है।
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Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."