हरीश चन्द्र गुप्ता की रिपोर्ट
नारायणपुर जिले में नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में सुरक्षाबलों ने एक महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है।
तीन दिन तक चले इस ऑपरेशन में सुरक्षाबलों ने तीन महिला नक्सलियों को मार गिराया, जिन पर कुल 18 लाख रुपये का इनाम था। यह ऑपरेशन उस क्षेत्र में किया गया जो नक्सलियों का गढ़ माना जाता था और जहां तक पहुंचना बहुत मुश्किल होता है।
बीते आठ महीनों में बस्तर संभाग के अंतर्गत नक्सल विरोधी अभियानों के दौरान 143 नक्सलियों के शव बरामद हुए हैं, 596 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है और 599 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।
इन अभियानों का मुख्य उद्देश्य माड़ क्षेत्र से नक्सलवाद का सफाया करना है। नारायणपुर पुलिस पिछले छह महीनों से “माड़ बचाओ” अभियान चला रही है, जिसका उद्देश्य इस क्षेत्र से नक्सलवाद को समाप्त करना है।
नारायणपुर-कांकेर सीमावर्ती क्षेत्र में नक्सलियों की उपस्थिति की सूचना पर नारायणपुर डीआरजी, कोण्डागांव डीआरजी, एसटीएफ, और बीएसएफ की 135वीं वाहिनी ने संयुक्त रूप से इस अभियान को अंजाम दिया।
अभियान के दौरान नक्सलियों ने सुरक्षा बलों पर जानलेवा हमला किया, लेकिन सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई में तीन महिला नक्सली मारी गईं। इनके शवों के पास से भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक बरामद हुए।
मारे गए नक्सलियों में लक्ष्मी, सविता और शांता शामिल हैं। लक्ष्मी पर 8 लाख रुपये का इनाम था, जबकि सविता और शांता पर 5-5 लाख रुपये का इनाम था। ये सभी नक्सली संगठन के बड़े पदों पर थीं और इनकी मौत से संगठन को बड़ा झटका लगा है।
इस अभियान के बाद उत्तर बस्तर डिवीजन में माओवादियों के बीच भय का माहौल है। इस ऑपरेशन ने नक्सलियों के गढ़ में सेंध लगाई है और उनके अटैकिंग फोर्स के स्तंभ को कमजोर कर दिया है।
पुलिस और सुरक्षाबलों का कहना है कि उनका मुख्य उद्देश्य इलाके के मूल निवासियों को नक्सलवाद की विचारधारा से दूर रखना है और उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ना है। उन्होंने नक्सलियों से अपील की है कि वे हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण करें और समाज की मुख्यधारा में लौट आएं।
इस ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए स्थानीय पुलिस बल, डीआरजी और केन्द्रीय अर्धसैनिक बलों ने मिलकर बेहतरीन तालमेल से काम किया है। इस तरह के अभियान आगे भी जारी रहेंगे ताकि क्षेत्र में शांति और विकास कायम किया जा सके।
Author: samachar
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