अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
अखिलेश यादव के संसद पहुंचने के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी को लेकर चर्चाएं तेज हो गई थीं। कई नामों की चर्चा थी, जिनमें शिवपाल यादव, इंद्रजीत सरोज, रामअचल राजभर और तूफानी सरोज शामिल थे। लेकिन अखिलेश यादव ने रविवार को चौंकाते हुए 81 वर्षीय माता प्रसाद पांडेय को यह जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय लिया। माता प्रसाद अब उत्तर प्रदेश विधानसभा में सपा दल की अगुवाई करेंगे।
माता प्रसाद पांडेय को उनके समर्थक ‘माता बाबा’ के नाम से जानते हैं। वे सिद्धार्थनगर जिले की इटवा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं और पिछले पांच दशकों से समाजवादी राजनीति में सक्रिय हैं।
सात बार विधायक रहे माता प्रसाद, मुलायम सिंह यादव के करीबी माने जाते हैं और उत्तर प्रदेश विधानसभा के स्पीकर भी रह चुके हैं। वे समाजवादी पार्टी की पुरानी धारा के प्रमुख नेता माने जाते हैं और सपा के विश्वसनीय चेहरा हैं।
माता प्रसाद पांडेय ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1980 में जनता पार्टी से विधानसभा में पहुंचकर की थी। इसके बाद 1985 और 1989 में भी विधायक बने, लेकिन 1991 और 1996 में हार का सामना करना पड़ा। 2002, 2007 और 2012 में वे फिर से सपा से विधायक बने। 2017 में भाजपा के सतीश द्विवेदी से हारने के बाद, उन्होंने 2022 में जीत हासिल कर विधानसभा में सातवीं बार प्रवेश किया। वे मुलायम सिंह यादव की सरकार में श्रम और रोजगार मंत्री भी रहे हैं।
अब, अखिलेश यादव के लोकसभा में जाने के बाद, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद वे खुद के पास रखते थे। लेकिन कन्नौज से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद, उन्होंने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ दिया। अब, माता प्रसाद पांडेय इस पद की जिम्मेदारी संभालेंगे और उत्तर प्रदेश विधानसभा में सपा के मुद्दों को उठाएंगे।
सपा ने इसके साथ ही अन्य पदों पर भी नियुक्तियां की हैं। विधायक महबूब अली को विधानसभा का अधिष्ठाता मंडल नियुक्त किया गया है, जबकि कमाल अख्तर को मुख्य सचेतक और राकेश कुमार उर्फ डॉ. आर के वर्मा को उप सचेतक बनाया गया है।
Author: samachar
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