ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश की पुलिस इन दिनों अपनी गतिविधियों को लेकर सुर्खियों में है। कहीं कस्टोडियल डेथ पर मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट की मांग की जा रही है, तो कहीं एक दरोगा लूट के मामले में जेल जा रहे हैं।
सीतापुर में थाने की लाइन हाजिरी
सीतापुर पुलिस ने गांजा तस्करी के आरोप में बड़ा कदम उठाया है। एसपी चक्रेश मिश्रा ने पूरे कमलापुर थाने को लाइन हाजिर कर दिया है, जिसमें थाना प्रभारी भानु प्रताप सिंह और 26 पुलिसकर्मी शामिल हैं। यह कार्रवाई गांजा तस्करी से जुड़े एक बड़े मामले के सामने आने के बाद की गई है। हालांकि, इस पर आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन इससे पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है।
आगरा में एफआईआर की देरी
आगरा में भी पुलिस की कार्यशैली को लेकर सवाल उठे हैं। यहां एक पीड़ित ने आरोप लगाया कि उसकी लूट की शिकायत तीन महीने से थाने में पेंडिंग थी और एफआईआर दर्ज नहीं की गई। जब उसने पुलिस आयुक्त के पास शिकायत की, तो उनके आदेश पर एफआईआर दर्ज की गई और तत्कालीन चौकी इंचार्ज को सस्पेंड कर दिया गया। पुलिस आयुक्त ने पीड़ित की एफआईआर दर्ज करने का आदेश भी दिया।
वाराणसी में पुलिसकर्मियों की लूट
वाराणसी में एक और बड़ा मामला सामने आया है। यहां एक शातिर लूट का मामला उजागर हुआ, जिसमें सब इंस्पेक्टर सूर्यप्रकाश पांडेय और उसके सहयोगियों ने एक ज्वैलर से 42 लाख रुपए लूट लिए थे। ज्वैलर 93 लाख रुपए कलकत्ता भेज रहा था, जिसे जानकारी पाकर पुलिसकर्मियों ने रकम लूट ली। जब मामले की जांच शुरू हुई, तो सीसीटीवी फुटेज और पूछताछ से लूट की पूरी कहानी सामने आई और पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर लिया गया।
इन घटनाओं से साफ है कि यूपी की पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं और प्रदेश में पुलिस सुधार की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
Author: samachar
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