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13 January 2025 10:16 pm

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बाढ़ के बढ़ते तांडव से डरे हुए लोग, अपने घर छोड़ पलायन करने लगे हैं, पल पल अनहोनी का सता रहा है डर

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संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट

गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पिछले दो दिनों से बाढ़ ने तबाही मचानी शुरू कर दी है। 

राप्ती, गोर्रा, आमी, रोहीन, और कुआनो नदियों में जलस्तर बढ़ने से ये नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। 

बाढ़ से प्रभावित परिवार अपने घर छोड़कर शिविरों या सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं। शहरी इलाकों में भी पानी घुसना शुरू हो गया है, जिससे जनजीवन प्रभावित हो रहा है। 

प्रशासन का कहना है कि वे किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं और स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है।

गोरखपुर और इसके आस-पास के 27 गांव बाढ़ से प्रभावित हो गए हैं, जिनमें नौसढ़ के पास के मझरिया और तकिया जैसे दर्जनों गांव शामिल हैं। 

घरों में पानी घुसने के कारण ज्यादातर लोग पलायन कर चुके हैं। नौसढ़ के निवासी उज्जवल निषाद का कहना है कि यह हर साल की कहानी है। बरसात शुरू होते ही नेपाल से पानी छोड़ा जाता है, जिससे राप्ती नदी में उफान आ जाता है और गांवों में बाढ़ का असर दिखाई देता है। 

पानी घुसने की वजह से लोग सुरक्षित स्थानों पर चले जाते हैं। प्रशासन की ओर से राहत सामग्री मिल जाती है और सभी जिम्मेदारियों का निर्वहन पूरा हो जाता है। उज्जवल कहते हैं कि अब तो बाढ़ की आदत सी हो गई है और उनके मकान जर्जर होते जा रहे हैं। 

वहीं, तकिया की निवासी लक्ष्मीना देवी कहती हैं कि बाढ़ से सबसे ज्यादा परेशानी बुजुर्गों, छोटे बच्चों और जानवरों को होती है। पानी के कारण सांप और जहरीले कीड़ों का डर रहता है और चारा न मिलने से जानवरों को भी दिक्कत होती है। 

लक्ष्मीना देवी के अनुसार, घरों में पानी घुस चुका है और सरकार द्वारा बनाए गए राहत शिविरों में रह रहे हैं। प्रशासन की ओर से राहत सामग्री मिली है, लेकिन इससे स्थाई समाधान नहीं होता। वे कहती हैं कि सरकार हर साल करोड़ों खर्च करने का दावा करती है, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के कारण उन्हें हर साल बाढ़ का सामना करना पड़ता है। यदि बंधे मजबूत हो जाएं, तो कुछ हद तक उनका डर खत्म हो जाएगा।

आपदा प्रबंधन के मनोज गुप्ता का कहना है कि राप्ती सहित सभी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। शनिवार की शाम को राप्ती का जलस्तर खतरे के निशान से 1 मीटर ऊपर था। 

आगामी दिनों में नेपाल से छोड़ा जाने वाला पानी नदियों के जलस्तर को और बढ़ा देगा। फिलहाल, राहत शिविरों में शरणार्थियों के रहने की समुचित व्यवस्था की गई है। बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने के लिए नाव लगाई गई है। एनडीआरएफ की टीम हर जगह तैनात है और डीएम के आदेश पर अधिकारियों द्वारा राहत सामग्री बांटी जा रही है। इसके साथ ही जगह-जगह चिकित्सा शिविर भी लगाए गए हैं, ताकि आपात स्थिति से निपटा जा सके।

samachar
Author: samachar

"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."

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