मोहन द्विवेदी की खास रिपोर्ट
बरसात में जलजमाव और उससे शहरों का अस्त-व्यस्त जीवन अब हर वर्ष का स्थायी दृश्य हो गया है, मगर इसके मद्देनजर सरकार को पूर्व तैयारी करने की जरूरत शायद कभी महसूस नहीं होती।
सामान्य से थोड़ा अधिक पानी बरसते ही शहरों की सड़कें लबालब हो जाती हैं, मुहल्ले तालाबों में तब्दील हो जाते हैं। लोगों का दफ्तर, स्कूल, व्यवसाय आदि के लिए निकलना मुश्किल हो जाता है। खासकर मुंबई के लोगों को हर वर्ष बरसात में ऐसी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है।
अभी बरसात का मौसम शुरू ही हुआ है और मुंबई में सड़कों पर पानी भर गया, रेल की पटरियां डूब गईं, कई रेलगाड़ियां रद्द करनी पड़ीं, बसें रुक गईं, कई दफ्तरों और स्कूलों में कामकाज बंद करना पड़ गया। यहां तक कि सोमवार को महाराष्ट्र विधानमंडल के दोनों सदनों का कामकाज स्थगित करना पड़ गया।
भारी बारिश की वजह से समंदर में ज्वार उठने के संकेत दे दिए गए। बरसात का असर रोजमर्रा इस्तेमाल होने वाली चीजों पर भी पड़ता है।
अक्सर इस मौसम में फलों, सब्जियों के दाम इसलिए आसमान छूने लगते हैं कि माल ढुलाई में बाधा आती है।
जिन इलाकों में भारी बरसात होती है, वहां फसलें चौपट हो जातीं और सब्जियों का उत्पादन घट जाता है। दिल्ली में बारिश की वजह से थोक मंडियों में सब्जियां नहीं पहुंच पाने से लोगों को ऊंची कीमत चुकानी पड़ रही है।
हर वर्ष बरसात में जलभराव को लेकर विधानसभाओं में सवाल उठाए जाते हैं, लोग सड़कों पर उतर कर आंदोलन करते देखे जाते हैं।
हर बार आश्वासन दिया जाता है कि जलनिकासी की व्यवस्था दुरुस्त कर ली जाएगी, मगर स्थिति फिर भी जस की तस बनी रहती है।
पिछले वर्ष दिल्ली में बाढ़ आई और यमुना उफन कर लाल किले तक पहुंच गई, तो काफी शोर मचा था। तब दिल्ली सरकार ने कहा था कि हरियाणा ने बिना चेतावनी दिए पानी छोड़ दिया, इसलिए यह समस्या उत्पन्न हुई।
इस वर्ष दावा किया गया था कि पिछले वर्ष जैसी समस्या नहीं आएगी। मगर पहली ही बारिश में जिस तरह कई इलाकों में जलजमाव देखा गया, उससे लगता नहीं कि समस्या का समाधान हो गया है।
शहरों में जलजमाव की बड़ी वजह बरसात से पहले नालों की समुचित सफाई न होना पाना है। जिन नालों और नालियों की गाद निकाली जाती है, उसे किनारे पर छोड़ दिया जाता है, जो बरसाती पानी के साथ बह कर फिर से नालियों में भर जाता है।
कई जगहों पर जलनिकासी का समुचित प्रबंध न किया जाना भी बड़ी वजह है। जिन इलाकों में अनियोजित तरीके से बस्तियां बसा दी गई हैं, वहां जलनिकासी के इंतजाम नहीं किए गए। जो नालियां बनी भी हैं उनकी पर्याप्त क्षमता नहीं है, जिसके चलते सामान्य से जरा भी अधिक पानी बरसता है, तो उसे निकलने में काफी वक्त लग जाता है।
समझना मुश्किल है कि शहरों की नगर पालिकाएं हर वर्ष इस समस्या का सामना करती हैं, फिर भी वे कोई स्थायी समाधान निकालने का प्रयास क्यों नहीं करतीं।
महाराष्ट्र विधानसभा में जलभराव को लेकर हंगामा हुआ, दिल्ली में भी इसे लेकर सियासी रस्साकशी हई। जब-जब समस्या गंभीर होगी, सब इसे राजनीतिक रंग देने का प्रयास करेंगे। मगर जलभराव जैसी समस्या का समाधान इतना जटिल क्यों बना हुआ है, यह समझ से परे है।
आवश्यक वस्तुओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने को लेकर भी लापरवाही बरती जाती है। इसका नतीजा हर वर्ष लोगों को जलजनित बीमारियों के रूप में भी भुगतना पड़ता है।
देखिए सब्जियों के भाव
हाल ही के दिनों में आलू, टमाटर, प्याज, भिंडी, तोरी और हरा धनिया समेत सभी सब्जियों के दामों में तेजी से वृद्धि हुई है, जिससे आम लोगों के घरों की रसोई का बजट गड़बड़ा गया है। मेरठ से लेकर मुरादाबाद तक हर जगह एक जैसा हाल है। महंगी सब्जियों ने लोगों की जुबान का जायका भी बिगाड़ दिया है।
मेरठ की नवीन सब्जी मंडी में सब्जियों के दाम
टमाटर- 80 रुपये प्रति किलो, गोभी- 180 रुपये प्रति किलो, हरा धनिया- 120 रुपये प्रति किलो, बैंगन- 60 रुपये प्रति किलो, भिंडी- 50 रुपये प्रति किलो, घिया- 40 रुपये प्रति किलो, नींबू- 80 रुपये प्रति किलो, हरी मिर्च- 50 रुपये प्रति किलो, प्याज- 40 रुपये प्रति किलो, खीरा- 50 रुपये प्रति किलो, आलू- 30 रुपये प्रति किलो, तुरई- 50 रुपये प्रति किलो, पालक- 30 रुपये प्रति किलो, करेला-30 रुपये प्रति किलो
ये थोक मंडी के भाव हैं, जबकि फुटकर में इनकी कीमतें लगभग डेढ़ गुना तक बढ़ जाती हैं। लोग मेरठ की नवीन सब्जी मंडी से इसलिए सब्जी लेने आते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यहां फुटकर के मुकाबले थोड़ी सस्ती सब्जी मिल जाएगी।
मेरठ में फुटकर बाजार की सब्जियों के दाम
आलू- 40-50 रुपये प्रति किलो, प्याज- 40-45 रुपये प्रति किलो, टमाटर- 60 रुपये प्रति किलो, भिंडी- 60 रुपये प्रति किलो, लौकी- 50 रुपये प्रति किलो, शिमला मिर्च- 120 रुपये प्रति किलो, परवल- 60 रुपये प्रति किलो, सेम- 150-200 रुपये प्रति किलो
मुरादाबाद की सब्जी मंडी का हाल
मेरठ ही नहीं, मुरादाबाद में भी सब्जियों के दाम तेजी से बढ़े हैं। मुरादाबाद की नवीन सब्जी मंडी में सब्जियों के दाम पिछले 15 दिनों में 2 से 4 गुना तक बढ़ गए हैं। यहाँ के सब्जी विक्रेताओं का कहना है कि बारिश और बाढ़ की वजह से सब्जियों के दामों में बढ़ोतरी हुई है। बरसात का पानी सब्जी के खेतों में घुसने से सब्जियां खराब हो गई हैं और बाढ़ की वजह से रास्ते बंद होने के कारण बाहर से सब्जियां नहीं आ पा रही हैं।
मुरादाबाद में सब्जियों के दाम
भिंडी- 80-100 रुपये प्रति किलो (पहले 40 रुपये प्रति किलो), फूल गोभी- 200 रुपये प्रति किलो, टमाटर- 70-80 रुपये प्रति किलो (पहले 40 रुपये प्रति किलो),परवल- 60 रुपये प्रति किलो, लौकी – 60 रुपये प्रति किलो
कम आय वाले लोगों को इन बढ़े दामों से काफी परेशानी हो रही है। सब्जियों के दाम आसमान छूने के कारण गृहणियों के रसोई का बजट बिगड़ गया है। महंगी सब्जियों के कारण कोई भी सब्जी 50-60 रुपये प्रति किलो से कम नहीं मिल रही है। सब्जी खरीदने बाजार में जाने से पहले लोगों को चिंता होने लगी है कि कौन सी सब्जी लाई जाए जो बजट में शामिल हो और जिसे पूरा परिवार खा सके।
बारिश की वजह से बढ़े दाम
सब्जी विक्रेता सब्जियों के दाम में बेतहाशा बढ़ोतरी के लिए बारिश को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। सब्जियों के दाम में दोगुना से भी अधिक का उछाल होने से सब्जी आम लोगों की पहुंच से दूर हो गई है। सब्जी नहीं रहने के कारण खाने का स्वाद भी बिगड़ने लगा है। साथ ही, पश्चिम बंगाल और बिहार से सब्जियों के नहीं आने से भी कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है।
इस प्रकार, मौजूदा हालात में सब्जियों के बढ़ते दाम ने आम जनता के जीवन को प्रभावित किया है और उनके घरों के बजट को बुरी तरह से प्रभावित किया है।
Author: samachar
"कलम हमेशा लिखती हैं इतिहास क्रांति के नारों का, कलमकार की कलम ख़रीदे सत्ता की औकात नहीं.."