दुर्गा प्रसाद शुक्ला की रिपोर्ट
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अब लोकसभा में विपक्ष के नेता बन चुके हैं। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोलते हुए राहुल गांधी ने अपने भाषण से बीजेपी को असहज कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, अमित शाह, और शिवराज सिंह चौहान समेत कई बड़े नेताओं ने उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन राहुल गांधी ने अपने हमले जारी रखे।
कटाक्ष में माहिर
राहुल गांधी के भाषणों में अब कटाक्ष भी दिखने लगा है, जो नरेंद्र मोदी की शैली का हिस्सा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का भगवान से सीधा कनेक्शन है और नोटबंदी अरबपतियों की मदद के लिए की गई थी। राहुल ने जीएसटी और इनकम टैक्स के जरिए छोटे व्यवसायों पर दबाव बनाने की भी बात कही। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी के बड़े नेता जैसे राजनाथ सिंह और नितिन गडकरी प्रधानमंत्री से डरते हैं और उनसे मिलने पर झुकते हैं।
बीजेपी नेताओं का विरोध
बीजेपी नेताओं ने बार-बार खड़े होकर राहुल गांधी को रोकने की कोशिश की। पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने राहुल के बयानों को गंभीर बताते हुए माफी की मांग की। उन्होंने कहा कि राहुल ने हिंदू समाज को हिंसक बताया है, जो गंभीर आरोप है। इसके बावजूद, राहुल गांधी अपने बयानों पर कायम रहे और बीजेपी को हर मोर्चे पर घेरते रहे।
सच और झूठ
राहुल गांधी ने अपने भाषण में कई ऐसे तथ्य प्रस्तुत किए जो सही नहीं थे। उदाहरण के लिए, अग्निवीर योजना और किसानों के मुद्दे पर उनके बयान तथ्यहीन थे। लेकिन उन्होंने इतने आत्मविश्वास से अपनी बातें रखीं कि उनकी प्रभावी प्रस्तुति ने उनकी बातों को वजन दिया। गृहमंत्री अमित शाह ने स्पीकर से अपील की कि तथ्यहीन बातों की जांच की जाए।
शुरू से हमलावर
राहुल गांधी अपने भाषण में शुरू से ही हमलावर रहे। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाया कि वह जनता को डराने का काम करती है। उन्होंने अयोध्या और जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर बीजेपी को घेरा और कहा कि अयोध्या की जनता के साथ अन्याय हुआ है। राहुल ने कहा कि अग्निवीर योजना जवानों के बीच फूट डालने के लिए बनाई गई है। उन्होंने मणिपुर और किसानों के मुद्दे पर भी बीजेपी की आलोचना की।
राहुल गांधी ने अपने भाषण के जरिए यह दिखा दिया कि वह अब एक परिपक्व नेता के रूप में उभर चुके हैं। उन्होंने विपक्ष के नेता के तौर पर अपनी भूमिका निभाते हुए बीजेपी को कई मुद्दों पर घेरने की कोशिश की और कुछ हद तक सफल भी रहे।
Author: samachar
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